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अकारान्त (पु.)
सप्तमी बहुवचन 7/2 10. प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी विभक्ति बहुवचन
में अन्त्य 'अ' का 'ए' करके उसमें 'सु' और 'सु' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देवे+सु, सुं) = देवेसु, देवेसुं (सप्तमी बहुवचन)
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इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.)
इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (स्त्री.) (क) तृतीया बहुवचन 3/2(ख) पंचमी बहुवचन 5/2(ग) सप्तमी बहुवचन 7/2 11.(क) प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग, इकारान्त-उकारान्त
नपुंसकलिंग व इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के तृतीया विभक्ति बहुवचन में 'हि', 'हिँ' और 'हिं' प्रत्यय जोड़ने पर ह्रस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ दीर्घ ही रहता है। जैसे
तृतीया बहुवचन 3/2 हरि (पु.)(हरि+हि, हिँ, हिं) = हरीहि, हरीहिँ, हरीहिं (तृतीया बहुवचन) गामणी(पु.)(गामणी+हि,हिँ, हिं) = गामणीहि, गामणीहिँ, गामणीहिं
(तृतीया बहुवचन)
साहु (पु.)(साहु+हि, हिँ, हिं)=साहूहि, साहूहिँ, साहूहिं (तृतीया बहुवचन) सयंभू (पु.)(सयंभू+हि, हिँ, हिं)=सयंभूहि, सयंभूहिँ, सयंभूहि (तृतीया बहुवचन)
वारि (नपुं.)(वारि+हि, हिँ, हिं)-वारीहि, वारीहिँ, वारीहिं (तृतीया बहुवचन) महु (नपुं.)(महु+हि, हिँ, हिं) = महूहि, महूहिँ, महूहिं (तृतीया बहुवचन)
(4)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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