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गया चाहिं वि कहियं राइणो नियनि यसरूवं
राइणा मंतिणो भणिया जहा एयाणं विवायं मंजिऊण एगो वरो पमाणीकायवो
= एक
(गय) भूकृ 1/2 अनि (चउ) 3/2
=चारों के द्वारा अव्यय (कह) भूक 1/1
=कही गयी (राइ) 4/1
= राजा के लिए [(निय) वि - (निय) वि - =अपनी-अपनी बात (सरूव)1/1] (राइ) 3/1
=राजा के द्वारा (मंति) 1/2
=मन्त्री (भण) भूकृ 1/2
कहे गए अव्यय
=जैसे (एत) 6/2 स
-इन के (विवाय) 2/1
=विवाद को (भंज) संकृ
=समाप्त करके (एग) 1/1 वि (वर) 1/1
=वर (पमाणीकायव्व) विधिक 1/1 अनि =प्रमाणित किया जाना
चाहिए (मंति) 1/2
=मन्त्रियों ने अव्यय
= भी (सव्व) 1/2 स
=सब (परोप्पर) 2/1 वि
= नापस में (वियार) 2/1
=विचार (कुण) व 3/? सक
=करते हैं (किया) अव्यय
=नहीं अव्यय
=फिर [(केण)--(प्रवि)] केण (क) 3/1 स, = किसी के द्वारा भी अवि (अ) (विवा) 1/1
-विवाद (भज्जइ) व 3/1 सक कर्म अनि =सुलझता है (सुलझा) अव्यय
=क्योंकि
मंतिणो
वि
सव्वे परोप्परं वियारं कुणति
पूण केरणावि
विवाग्रो भज्ज जो
178
]
[ प्राकृत अभ्यास सौरभ
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