Book Title: Prakrit Abhyasa Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 222
________________ वह सुनार भय से कांपता हुअा, मार्ग में इधर-उधर देखता हया बाजार मार्ग से जाता हुआ सीमा से जब साग के व्यापारी की दुकान के समीप गया (पहुंचा) तब किसी मनुष्य के द्वारा पकी हुई ककड़ी (खीरा) बाहर फेंकी गई और वह उस सुनार की पीठ पर लगी। उसके द्वारा समझा गया (कि) किसी के द्वारा मैं प्रहार किया गया हूँ। (उसने) पीठ पर हाथ से छुआ, वहां (उसके द्वारा) खीरे के रस और बीज को छकर विचार किया गया-अहो, मैं प्रगाढरूप से प्रहार किया गया है, इसलिए घाव के साथ खून भी निकला है, उसमें कीड़े भी उत्पन्न हुए हैं। इस प्रकार मय से अत्यन्त व्याकुल (वह) जल्दी-जल्दी चलता हुआ घर-द्वार पर पहुंचा । बन्द हुए घरद्वार को देखकर अपनी पत्नी को बुलाने के लिए उच्च स्वर से कहा- "हे मदन की माता ! द्वार खोलो, द्वारा खोलो।" वह अन्दर बैठी रही। सुनती हुई भी न सुनती हुई (सी) कुछ काल ठहरी । बहुत गुस्सा करने पर उसने आकर और दरवाजे को खोलकर इस प्रकार पूछा-"बहुत क्यों चिल्लाते हो ?" भय से ग्रस्त वह घर में घुसकर पत्नी से कहता है-"द्वार शीघ्र बन्द करो, ताला भी लगायो।" सब करके उसके द्वारा पूछा गया- "इस प्रकार नग्न क्यों हुए ?" उसके द्वारा कहा गया-"अन्दर कोठरी में चलो, पीछे मुझको पूछो" | घर की अन्तिम कोठरी में जाकर निश्चित हुना। फिर उसके द्वारा पूछा गया- "इस प्रकार नग्न क्यों पाये ?” उसके द्वारा कहा गया- "चोरों द्वारा लूटा गया हूँ, सब छीनकर नग्न किया गया है।" उसने कहा- "मेरे द्वारा पहले (भी) कहा गया है (कि) हे स्वामी ! तुम्हारे द्वारा मध्यरात्रि में पेटी को लेकर नहीं आया जाना चाहिए, तुम्हारे द्वारा (यह) नहीं माना गया, इसलिए इस प्रकार हुआ है।" उसने कहा -.. "मैं महाबलवान (हूँ, तो भी) क्या करूं? यदि पांच या छः चोर पाये होते तो उन सबको मैं जीतने के लिए समर्थ होता किन्तु ये सैकड़ों चोर पाये इसलिए मैं उनके साथ लड़ते हुए हरा दिया गया, सब लूटकर नग्न किया गया और पीठ में तलवार से प्रहार किया गया । पीठ को देखो, घावसहित कीड़े भी उत्पन्न हुए (हो गए)।" उसके द्वारा उसकी पीठ को देखकर जान लिया गया-ये खीरे के बीज और रस हैं । पति के लिए ही कहा गया- "हे स्वामी ! भय से ग्रस्त होने के कारण तुम्हारे द्वारा इस प्रकार जाना गया है। किसी के द्वारा मैं प्रहार किया गया (और) इस प्रकार उससे खून निकला तथा वहां कीड़े भी उत्पन्न हुए वह सत्य नहीं है। तुम खीरे के द्वारा प्रहार किए गए हो, उसका रस और बीज पीठ में लगे हैं।" तब उसके प्राकृत अभ्यास सोरम ] । 211 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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