Book Title: Prakarana Ratnakar Part 3
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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६३४
वीरस्तुतिरूप ढुंडीनुं स्तवन.
माणा परिनाएमाणा परिचुंजेमाणा परिकयं पोसहं पडिजागरमाणा विहरिस्सामि॥ इति जगवतीसूत्रे शतक बारमे नद्देशे पहेले ॥ अर्थः तएणंके० सावजीनगरीने बाहेर वीरस्वामि समोसस्या; त्यां शंख श्रावक प्रमुख घणा श्रावक, देशना सांन जलीने पाबा घरजणी आवे छे तेवारे, से संखेके ० ते शंख श्रावक, समणोवासए के बीजा श्रमणोपासकोने, एवंवयासीके छ एम कहेडे. तुम्हेणं देवाणुप्पिया के हे देवाणुप्रिय, तमे, विन के विपुल अशनादिक, उवरकडावेहके रंधावो. तएणंअम्हेके ० तेवारे आपण,
विल असण इत्यादिक सुगम . तेहने आस्वाद न करतां थकां थोडं खावू, घणुं तजवू; ते आस्वाद कहीए, शेलडीनी पेरे, तथा विसाएमाणाके विशेषे स्वाद करतां खजूर प्रमुखनी पेरे घणु खातां थोडं काढी नाखतां, परिनाएमाणाके अन्योन्य देतां, परिचुंजेमाणाके ० अन्नादिकनी पेरे सर्व वावरतां पारखीसंबंधी पोसह पडिजागरमाणाके पालता थका, विहरिस्तामि के विचर'. इति. एम ठराव करीने पले वधते परिणामे घेर जऽ शंखेतो निरा हार पोसह कस्यो. ते सुदरकुजागरिका एम जगवते वखाण्यो. तेमाटे बीजा श्रा | वकना पस्किय पोसह वखोड्या न कहीए. जेम धना अगारनो तप वखाण्यो एटले बीजा अणगारनो तप वखोडयो न कहीए. जिनशासनमां सर्व करणी शक्ति प्रमाणे लेखेने ते माटे ए साहमिवहल करतां हिंसा तमारे लेखे थइजोइए; पण जतना तथा नक्ति होय त्यां दोष न लागे एम मानीए तो सूत्रमा समु लागे. तथा वती घरनिर्वाह चरण लिए तेहनांके जे चारित्र लीए तेना घरनो निर्वाह. हरि कीधके ० कम करयोने. ते ज्ञातामांहेके० झाता सूत्रमध्ये कह्युले. ते हिंसा, कृमने केम | नही लागे? यहीयां तो जतना पण नथी, तथाच झातासूत्रं ॥ तएणं से काहे वासुदे
वे थावच्चा पुत्तेणं एवं वुत्तेसमाणे कोमंबियपुरिसे सद्दावेश्त्ता वेश्त्ता एवं वयासी गबहणं देवाणुप्पिया वारवश्ए नयरीए सिंघाड गति गजावपहेसुदविखंधवरगयामहयामहया सदेणं नग्घोसेमाणानग्योसणं करेह एवं खलु देवाणुप्पिया थावसापुत्ते संसार जबच्चि गो नीएजम्म मरणाणं वश्यरहणं अरिहनेमिस्स अंतिए मुंभे नवित्ता पवइत्तएतं नोखलु देवाणुप्पिया रायावा जुवरायावा देवीवा कुमारोवा ईसरोवा तलवरेवाकोमंबि य सेहिसेगाव सबवाहेवा थावच्चापुत्तं पश्यंतमः पवयति तस्सणं कन्हे वासुदेवे अ गुजाण पन्जानरस्सा वियसेमित्तणाइ जोगखेमं वट्टमाण पडिवहात्ति घोसणं घोसे | ह जाव घोसेत्ति तएणं थावञ्चापुत्तस्स अणुराएणं पुरिससहस्सं शिरकमणानिमुहं एहायं सवालंकार विनूसियं पत्तेयं पत्तेयं पुरिससहस्तवाहिणी सुसिबियासु उरूढं समा
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