Book Title: Prakarana Ratnakar Part 3
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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नववैराग्यशतक. पस्वी थयो, क्यारेक कुरूपी थयो, क्यारेक सुखनो लागी थयो भने क्यारेक दुःख नो विनागी पण थयोः ॥ ५॥
रानत्तिय उम गुत्ति, एससवा गुत्तिए सवे अविक॥ सा मी दासो पुजो, खलत्ति अधणो धणवति ॥ ५ ॥ नविश्व को निअमो, सकम्मविणिविक सरिस कय चि
हो॥ अन्नुन्न रूववेसो, नडुव्व परिअत्तए जीवो ॥ ६ ॥ व्याख्या-वली ए जीव क्यारेक चक्रवर्ति राजा पण थयो, एजजीव क्यारेक द्रुम के रांक अयो, एज क्यारेक चांमाल थयो, एज क्यारेक वेदनो जाण एवो थयो, ए ज क्यारेक स्वामि के० सर्वनो मुख्य एवो थयो, अने क्यारेक बीजाउनो दास थयो, एज जीव क्यारेक सर्व जगत्ने पूज्य के पूजन करवा योग्य थयो, अने खलुइ तिनिश्चे क्यारेक उष्ट उर्जन थयो, एज क्यारेक खलत्ति के खल एटले दूर्जन थ यो,एज जीव क्यारेक अधणो के निर्धन थयो भने एज जीव क्यारेक या संसा रनेविषेधव के धनवंत पण थयो॥पणा एरीते कोश्पण एवो निश्चय नियम नथी, के ए जीव सदा सरखं रूप अने सरखो वेषधारण करे. जेवां पोतानां कर्म स्थाप्यांने एटले जेवी तरेहनां कर्म उपाळ ते प्रमाणे चेष्टा करे बने नटुवानी परे अन्नुन्न के० अनेरां अनेरां रूप धने वेष परावर्ते. ॥६॥
नरए सुवेअपान, अणोवमा असाअ बदुला॥ रेजीव तए पत्ता, अणंतखुत्तो बदुविहान ॥ ३१ ॥ देवत्ते मणुअत्ते, परानि गत्तणं नवगएणं ॥ नी
सणउदं बदुविहं, अणंतखुत्तो समणुनूअं ॥६॥ व्याख्या-नरकनेविषे अनोपम एटले नथी जेने कोई उपमा के बराबरी ए वी अनेक वेदना जोगवी. अशाता वेदनीज नरकमांहे घणी जे एवी या सं सारनेविषे अनेक अशातानोगवी. रे जीव एम बदुविहो के अनेक प्रकारे अ पंतखुत्तोके अनंति वार पाम्यो जे ॥१॥ हे जीव तुं देवतामाहे अने मनुष्यमांहे परानियोगके० पारका यानियोगिक एटले चाकरपणाए उपन्यो थको बहु प्रकारना नीषणके० नयंकर एवां छेदन नेदन ताडनादिक फुःखोतें अनंतीवार अनुनव्यां॥६२
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