Book Title: Pradyumnakumara Cupai Author(s): Kamalshekhar, Mahendra B Shah Publisher: L D Indology Ahmedabad View full book textPage 9
________________ प्रद्युम्नकुमार-चुपई प्रथम पत्रनी जमणी बाजुए मध्यमां सहेज नीचे पत्रनो नानकडो कटको खरी पडवानी अणी उपर ज छे. तेथी तेनी आगली बाजुए कडी नं. १० तथा ११ अने पाछळनी बाजुए कडी नं० २० ना एक-बे शब्दो तेमां सपडायेला छे. पत्र नं. ९, कडी नं. २७३ मांना केटलाक अक्षरोनी शाही खरी गई होवाथी दुर्वांच्य बन्या छे. केटलाक पत्र उपर शाही फूटेली छे. शाही फूटी होई अने त्यां अक्षरो न लखाया होई ते पत्र अने कडोओ नीचे मुजब छ : पत्र नं. १०-कडोनों संख्यांक , ११ ६४: ६५: ६६: २४: ७८८: ७८९: ७९०: ७९१: ७९२: ७९३: पत्र नं. २४नी पाछली बाजुए, पत्रना लगभग है भागमा चोपाई पूरी थई जवाथी बाकीनु पान कोळं राखी मूक्यु छे. हस्तप्रतनु मापः- हस्तप्रतनां पानांनी लंबाईनु माप १० ३ इंचनु छे अने पहोळाईनु माप लगभग ४ इंचनु छे. पानानी अंदरना लखाणनी लंबाईनु माप ८.३ थी ८.५ इंचनु छे अने तेनी पहोळाईनु माप ३ थी ३.३ इंच सुधीन छे. छेल्ला पाने ज्यां कृति पूरी थई जाय छे, त्यां लगभग अडधा पाना परना लखाणनु माप २ इंचनु छे. प्रत्येक पानानी डाची अने जमणी बन्ने बाजुए, आगळ अने पाछळ बन्ने तरफ लगभग २ इंचनी व्रण ऊभी लाल लीटीओ वडे .८ इंचना मापनो हांसियो दोरवामां आव्यो छे. , १२ " २४ कडी अने पंक्तिओ:-प्रत्येक पत्रमा कडी अने पंक्तिओनी संख्या एक सरखी रही नथी. कारण के पंक्तिमांना अक्षरो अने कडीमाना छंदो एक सरखा रह्या नथी. नाना, मोटा छूटा के गीचोगीच लखाता अक्षरो अने बदलाता जता छदोने लीधे पत्रमा लगभग १४ थी १८ कडीओ अने १४ थी १७ पंक्तिओनो समावेश करवामां आव्यो छे. प्रत्येक कडीनो संख्यांक अने बदलाता जता छंदोना नामो पत्रमा जुदा तरी आवे ते माटे काळी शाहीथी ते लखोने तेनी ऊपर आछेरो लाल रंग चोपडी तेमने जुदा पाडवानो प्रयत्न करवामां आव्यो छे. शब्दो अने अक्षरोः-अक्षरो एकंदरे सुवाच्य छे. परंतु स्वच्छ, शुद्ध के मरोडदार नथी. शब्दो के अक्षरोनु धोरण एक सरखु रह्यं नथी. प्रत्येक पंक्तिमां आशरे १७ थी २१ शब्दो अने आशरे ४६ थी ६० अक्षरो लखेला छे. अक्षरो केटलेक ठेकाणे खीचोखीच लख्या छे, तो केटलेक ठेकाणे छूटा अने स्पष्ट लख्या छे. आखी हस्तप्रत एक ज हस्ताक्षरमां नहि, परंतु सरखा लागता बे हस्ताक्षरोथी कदाच लखाई होय एम लागे छे. शरूआतथी १६१ कडीओ अने त्यार पछी १६२ थी २०२ कडीओ सुधीना अक्षरो जोतां आ भेद लगभग जणाई आवे छे. १ थी १६१ कडीमांना अक्षरो मध्यम कदना अने जाडा छे, ज्यारे १६२ थी २०२ कडी सुधीना अक्षरो नाना अने सहेज पातळा छे. त्यारपछीना लखाणमां आ बन्ने प्रकारना अक्षरो अवारनवार जोवा मळया करे छे. तेथी ज जे पत्र पर मध्यम कदना अने जाडा अक्षरो छे, त्यां लगभग १४ पंक्तिओ समाई शकी छे. अने जे पत्र पर नाना अने पातळा अक्षरो छे त्यां १६ के १७ पंक्तिओ पण समाई शकी छे. बन्ने प्रकारना अक्षरो जे पत्र पर जोवा मळे छे त्यां आशरे १५ पंक्तिओ जोवा मळे छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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