Book Title: Prachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 694
________________ ६७९ जैन धातुप्रतिमा लेखसंग्रह (२) (मार्च १९३०मां पाटणमां वडोदरा राज्य पांचमी पुस्तकालय परिषद्मा भाग लेवा तेमज त्यां सागरगच्छना उपाश्रये विराजता पूज्य प्र. श्रीमन् कान्तिविजय अने मुनिश्री जशविजय के जेमनी पासे गुर्जर साहित्यना हस्तलेखोनी प्रतिओ पुष्कळ छे तेमनो लाभ लेवा गयो हतो त्यारे मणियाती पाडामां ज शेठ खूबचंद हीराचंदने त्यां ऊतर्यो हतो. ते पाडामांना मंदिरमां (१) तथा नगरशेठना गृहदेरासरमां (३) पूजा करवा जतां ते-ते मंदिरनी प्रतिमाओना लेखो खास महेनत करी अवकाश लई उतारी लीधा हता. नगरशेठना मंदिरमां सहस्रकूट पित्तलमय प्रतिमाना लेख लेवामां मारा मित्र पंडित लालचंद भगवानदास गांधीए मदद करी हती. वळी साक्षर मुनिश्री पुण्यविजय मने तथा पंडितजीने पंचासरा पार्श्वनाथ मंदिरमा (२) वनराजनी मूर्ति नीचेनो लेख पुन: उकेलवा लई गया हता त्यारे ते मंदिरमांना बीजा केटलाक लेख में उतारी लीधा ते अत्र आपेल छे. वनराजनी मूर्ति नीचेनो लेख जेटलो सौनी महेनतथी उकेलायो ते में संस्कृत 'चंद्रप्रभचरित'नी मारी प्रस्तावनामां आप्यो छे एटले अत्र मूक्यो नथी. पाटणमांना केटलाक लेखो स्व. बुद्धिसागरसूरि प्रयोजित 'जैन प्रतिमालेख संग्रह भाग १'मां पृ.३९थी ६६मां अपाया छे, पण ते सिवायना एटलाबधा - पुष्कळ लेखो अप्रकट रह्या छे के तेनो संग्रह करवानी अति आवश्यकता छे. श्री आणंदजी कल्याणजीनी पेढी मुनिश्रीओ या विद्वानो द्वारा आ बधी सामग्री एकत्रित करावी प्रकट करवाना प्रयत्न सेवे तो इष्ट थशे. (४) काठियावाडमा काठीना जेतपुरनां (५) थान - लखतर ताबेनां [(६) सरघारनां] (७) गोंडलनां देरासरोमांना लेखो त्यां त्यां जवान थतां उतारी लीधा ते अत्र मूक्या छे. क्र.२, ३ना लेखो ता. १९-३-१९३०ना रोज, क्र.४ना ता. १९-४-१९३०ना रोज, क्र.५ना ता. ११-५-१९३०ना रोज, क्र.६ना ता. १३-५-१९३०ना रोज तथा क्र.७ना ता. २५-५-१९३०ना रोज उतारेल छे.) १. पाटण मणियाती पाडाना देहरासरमां १. सं.१४६९ वर्षे ऊकेश ज्ञातीय सं. आल्हणसी भा. (शंगारदे पुत्र अभयसिंह भार्यया श्रे. तिकुणा धरपफुया ललितादेव्या स्वपतिश्रेयोर्थ श्री मुनिसुव्रत चतुर्विंशतिपट्टक: कारित: प्रतिद्धिनश्च(ष्ठितश्च) श्री गुणरत्नसूरिभिः. २. १४८३ वर्षे फा. शु. मोढ ज्ञातीय श्रे. वीरपाल भा. सुहगल सुता श्रा. रतनू नाम्न्या स्वश्रेयसे स्वपति श्रे. हीरा श्रेयसे च श्री कुंथुनाथबिंब कारितं प्र. श्री सूरिभिः श्री ज्ञानकलससूरि. ३. सं.१४९१ आ. व. ७ श्री श्रीमाल वंशे वडली वास्तव्य स. सांडा भा. कामलदे सुत सं. डाह्याकेन भा. माकू सुत मांइआ भूचर प्रमुख कुटुंब सहितेन श्री धर्मनाथबिंब Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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