Book Title: Prachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 697
________________ ६८२ प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह बाहीराइ पुत्र श्रेष्टि रतना भार्या खादकी बाइ पुत्र श्रेष्टि रायमल भार्या बा. मगाइ श्रेष्ठि रायमलकेन पित्र्य श्रेयोर्य श्री श्रेयांसनाथबिंबं कारितं तपागछ श्री हीरविजयसूरिभिः प्रतिष्ठितः पत्तन वास्तव्य. (सहस्रकुट प्रतिमाओ जेना पर रहे छे तेनी नीचे लेख छ के) ५. संवत् १७७४ वर्षे जयेष्ठ सुदि ८ सोमे पत्तन मध्ये श्री श्रीमाली ज्ञातीय वृद्धि साखायां दो. श्री वीरा सुत दोसी श्री शिवजीसुत दो. श्री मेघजी भार्यां सहितवहू सुत दो. श्री जयतसी भार्या रामवहू सुत दोसी श्री तेजसी भार्या देवबाइ सुता पूजी सुत गुलाब द्वि. भार्या राधावहू सुता ल हर्षी मलुकचंद प्रमुख सपरिवार युत: दो. श्री तेजसीकेन सुखश्रेयोर्थ श्री पार्श्वनाथादिबिंब सहस्र पित्तलमय कोष्ट: कारित: पूर्णिमापक्षे. भ. श्री भावप्रभसूरिभिः प्रतिष्ठित: श्री महिमाप्रभसूरिस् तत्पट्टे भ. श्री भावप्रभसूरीणामुपदेशात् कृतमहोत्सवेन प्रतिष्ठपितं श्री ढंढेरपाटक संबंधिना. (नीचेनो लेख किनारी परनो छे:) ५ क. सं. १७७४ जये. सु. ८ दो. श्री तेजसी भार्या देववहू सुता पूजी सुत गुलाब द्वि. भार्या राधा सुता ल. हीरकी सुत मलूक प्रमुख सपरिवारयुतेन श्री तेजसीकेन सुखश्रेयोर्थं श्री पार्श्वनाथादि बिंबं सहस्र पित्तलमय कोष्ट: कारित: श्री पूर्णिमापक्षे भ. श्री महिमाप्रभसूरिस तत्पट्टे भ. भावप्रभसूरिणामुपदेशात् कृतमहोत्सवेन प्रतिष्ठापितं श्री ढंढेरपाटक संबंधिना. ६. सं.१७७४ ज्येठ. सु.८ दो. आणंदजी भार्या रतनवहू कारित श्री वासूपूज्यबिंबं प्र. ४. जेतपुर(काठीनू - काठियावाड)ना देहरासरमां १. सं.१५१६ वर्षे वैशाख वदि ११ शुक्रे श्री श्रीमाल ज्ञातीय श्रे. केहला सु. हरीया भा. रत्न सु. श्रे. सालिगेन भा. आसु युतेन मातृपितृश्रेयसे श्री कुंथुनाथबिंब कारितं व्र(ब्राह्माणगच्छे प्रतिष्ठितं श्री विमलसूरिभिः. श्री:. ज्यतपुरे. २. संवत् १५३३ माघ वदि १० गुरौ श्री कोरंटगच्छे श्री नन्नाचार्यसंताने श्री उसवंशे वृद्ध शाखीय श्रेष्टि नरीआ भा. नामलदे पुत्र भीला भार्या वनी पुत्र साह मूंधा पसवीराभ्यां भ्रातृ वीरपाल निमित्त श्री सुमतिनाथबिंब कारितं श्री कक्कसूरिपट्टे श्री सावदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितं अहमदावाद नगरे. श्री. ३. संवत १६(१ वरषे शांतिनाथ विजयसेन प्रतिष्ठित. ५. सरधारना देरासरमां १. संवत १६३२ वर्षे द्वितीय ज्येष्ठ शुदि चतुर्थ्यां तिथौ गुरूवारे मवानपुरे श्रे. राणा भार्या रमादे सुत श्रे. राजपालेन ए कुटुंबयुतेन श्री सुत(म)तिनाथबिंब प्रतिष्ठापितं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762