Book Title: Prachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 733
________________ ७१८ दुरियां १६९९ दुरित, अनिष्ट दुर्लभ ५३.१३ दुर्लभ दुवार ७.२५ द्वार दुवीस २४४.१७ बावीस ( सं . द्वाविंशत् ) दुष्यंत ११.२९ दुष्यंत दुसम २९.१० दु:खमय दुह ९२६ दु:ख दुसमसुसम १६८.२१ जेमां पहेलां दुःख अने पछी सुख छे एवो काळविभाग दुस्तर २३८. २७ तरयुं जेने माटे मुश्केल छे एवो (सं.) दु:कंत ३.९ दुष्यंत राजा दूण- ८७.१६ दूभववुं, संताप करवो दूह २०३.४ दुःख दूहलो ८९२८ कपरो, मुश्केल, दुःखभर्यो (सं. दु:ख परथी) दूहव- १०६.२२ दूभववुं, दुःख आप देउर ७०.१८ देवर, दियर देउल २०.२३ देवळ (सं. देवकुल) देय-, देअ-११.८, ११.९ देवुं देव १९८. १६ आकाश (प्रा.) देव ८.१५ दैव, भाग्य देवत १७.६ देवपणुं, दैवत देविंद ६८.६ देवेन्द्र देसण ३१.२४ देशना, उपदेश देसना १६.१ उपदेश देसाउरी ७२.१२ देखाउरी ११७.७ देशावरमां, परदेशमां देहुरी १६८.२० देरी, मंदिर (सं. देवगृह) दोआंगमा १६३.१३ दुर्गम, सामनो करवो मुश्केल एवा दोई १६२.७ बन्ने दोकड १५४.१७ एक वाद्य दोट १६२.४ प्रहार, चोट (रा.) दोभागिणी ८७.१२ दुर्भागिनी, बदनसीब Jain Education International प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह दोल्ही ६९.२५ दोहिली, मुश्केल, कष्टभरी (सं. दु:ख परी) दोषी ३६.१ द्वेषी, वैरी (प्रा.) दोस २६४.१६ द्वेष दोहिलं ५.८ दोह्यलं दुःख आपनाएं, कपरुं दौम २४.१९ द्याणइ २५८.१४ द्रसक्क - ९२५ धसकी पडवुं, फसडाई पडवुं द्रसूक- १६४.१० धसूकवुं, मोटो अवाज करवो ग्रह ८३.१८ तळाव, सरोवर (सं. हृद) हद्रह १६३.१७ द्रहद्रह - धडधड अवाज करीने द्राक ११०.१५ वाद्यविशेष दुग २६८.७ दुर्ग, गढ द्रू ६७.२६ ध्रुवनो तारो द्रेठि ४.१३, दृष्टि, आंख २०२.२७ दृष्टि नजर (SIT.) द्रोह ३.२८ अपराध, कोईनुं अकल्याण करवुं ते (सं.) द्वारीर ९९१३ धका - २४.२१ अथडावं ? हुमलो करवो ? धses- ८.१० धडधडवु, धडधड अवाज करवो (दे. धडहडिय) धses १६३.१७ धडधड अवाज करीने धडहड-१६३.१७ धडधडवुं, धणधणवुं, ५८.१ गर्जी ऊठवुं धडहडीय ९.२८ धडधड करती, जोसमां, एकदम धण १०५.८ स्त्री (सं. धन्या) धण १०५. ९ धन, संपत्ति धणकणकंचण १५.२९ धन, धान्य अने सुवर्ण धरी त्रीज २५.२२ धणीपुं २०.३ धणीपणुं, स्वामित्व धणुह ३.१७ धनुष्य धन्न ३१.२७ धन्य धमार १५९११ फाग - वसंतनुं गीत (हि.) • धमाल १५८.३० फाग - वसंतनुं गीत (हि.) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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