Book Title: Prachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 748
________________ शब्दार्थ रक्खण २६४.१८ रक्षण रज - १८३.२७ राजी थवुं (सं. रंज्) रज्ज ३३.१६ राज, लोक रणखेत २५.१६ रणक्षेत्र रणछक २७.१२ रणझीक २४.२३ रणतुर २०.२९ रणशिंगु रणभंभा २०.३० एक युद्धवाद्य रणरंग १८५.२० रणरंगभूमि, युद्धमेदान रणसिणगा २०.२९ रणशिंगा रणंगिणि ६९.९ रणांगणमां, युद्धक्षेत्रमां रत ९४.२९ ऋतु रति ६९.७ ऋतु रत्नत्रय १६.४ सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चारित्र से त्रणनो समुदाय रम - ५.३ आनंद करवो, मशगुल होवु रमणिम २१९.३० रमणीयता रमभि ५२.२६ रमत, क्रीडा रमाउल १०९,१२ सुंदर, समृद्ध (सं. रमा + आकुल) रयण ६.५ रत्न रयण २६.१९ रजनी, रात्रि रयणरेड ११७.८ रत्नराशि रयणायर ६४.१६ रत्नोनो भंडार रत्न+आकर) रयणी ३६.८ रजनी, रात्रि रषीसर ६.५ ऋषीश्वर रह- ३.२३ थोभवं, अटकवुं - रहई ११०.८ - ने रहकल २५३.१५, २५३.१६ रहवर १६८.१७ उत्तम रथ (सं. रथवर) रंग ३.७ आनंद, उमंग (सं. रंगरलि २४२.५ आनंदोल्लास रंगरोल ९५.३ आनंदमस्ती, आनंदछोळ रंगविरंग १२४.२१ रंगबेरंग, जातजातना रंग Jain Education International - आनंदप्रमोद रंजण ३९.१ रंजन करनार रंभ २०३.१० रंभ ६७.१७, ६७.२१ रंभा, एक अप्सरा रंभ २२३.२४ रंभा, स्वर्गनी एक अप्सरा रंभा १५७.२१ केळ (सं.) राइमइ १०६.२० राजिमती राउ जुओ ऋषिराउ राउली २७.२४ राजानी (सं. राजकुल) राकापति १२९४ चंद्र (सं.) राखस १६४.१६ राक्षस राग ८३.२७ लाल रंग (सं.) राज- १८४.२३ राजी थवं (सं. रंज्) राजादनी ८८.१८ रायण (सं.) राजीइ ७.२३ राज्य करतो होय त्यारे राजीया १६१.२४ राजा राजिंद १७.२१ राजेन्द्र राण १६१.२७ राणो, राजा राणोराणि २७४.२० राजसमूह रातुडि ६५.२८ रताश राधे १५७.१३ वैशाख मास (सं. राध) रामकडां १३९.२० रमकडां रामजी ३४.३० बलराम रामेकडा ६५.५ रमकडां राल - ५६.१० फेंकी देवं रावला १०५.२६ राजाना रास २४२.२० राशि, ढगलो रांग २५३.६ पायो ? ७३३ रितु ६७.२७ ऋतु रिव २२३.२८ पोकार, मोटो अवाज रिषि ५.६ ऋषि रिससरो २०२.११ ऋषभदेव (सं. ऋषभेश्वर) यत १९.२३ तरफदारी, रक्षा (अ. रिआयत) रीरी २३८.४ पित्तळ (सं.) रीव ५५.१८ चीस, आक्रंद For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762