Book Title: Prachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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७३४
रीव - रीवा २१.१८ चीसोचीस
रीष्ट १५.२२ एक रत्नजाति (सं. रिष्ट) रीस ११२.४ रोष, कोप
रुकम २१.२४ सोनाना सिक्का (सं. रुक्म) रुचि ७२.२३ तेज, प्रकाश (सं.) रुचिनिलइ ५७.२५ तेजधाम, तेजवंत, कांतिमान् (सं. रुचिनिलय)
रुली २५१.११ आनंद
रूख १६५.१७
रूतां १११.५ ऋतुओ
रूति १२३.२५ ऋतु रूप्प २१२.९ रूपुं (सं. रूप्य) रूल - ४३.३ भमवु, भ्रमण करवं
रूली ६९.२४ आनंद (दे. रली)
रूव २०४.१२ रूप
रूहाडि २२४.१९ अभिलाषा, इच्छा (रा., दे.
रुहरुहय)
संखडा १०९२८ वृक्ष
रेख १८१.१६ रेखामात्र, लेशमात्र, थोडुं रेड ६४.१८ जथ्थो, समूह ?
रेड १६४.९ धनप्रवाह, अतिशयता, प्रचुरता, राशि
रेवइ ५७.१८ रेवतगिरि पर गिरनार पर रेवगिरि ५२.६ रेवंतगिरि, गिरनार
रेषा २००.१८
रेस जुओ इणि रेस
रेह ८६.१३ रेखा, भात
रोक २३०.२३
रोक २१.२४ रोकडा
रोल ११६.२१ घट्ट प्रवाही, रगडो
रोलव- १६५.२० रोळवु, नष्ट करवुं लख- १८१.२६ लक्षित करवुं, ओळखवं, जोवुं, (सं. लक्षय)
लख १६२.४ लाख, असंख्य
लख - १६५.१० पामवुं (सं. लक्ष्)
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प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह
लख्यण २००.१९ लक्षण
लगन ७१.२८ (१) मुहूर्त, (२) लग्न, विवाह लछ २६१.४ लक्ष्मी, धन लछवंत २६१.४ लक्ष्मीवंत, धनवंत लछी २२.१२ लक्ष्मी, धन
लट- २५२.७ लेटवुं, लांबा थई (पगे) पडवुं लधु ३१.७ मेळव्यं (सं. लब्ध)
लब्धि ३८.१९ योगथी प्राप्त थती विशिष्ट शक्ति सिद्धि
लरललक १५२.३० लळकवुं, झूलवुं (सं. लल् परथी)
लल- २०.५ लळवु, झूकवुं ललवलीयां ११०.२०
लव १५८.२८ लगनी, अभिलाषा लव- १७.२८ बोलवु
लव एक ३०.१६ जराएक लवलीअ १११.२१ लवली एक पुष्पलता लह - ३.२७ धारण करवुं (सं. लभ्) लह - ५.९ जाणवुं, समजवुं (सं. लभ्) लंकेसरी १६५.२२ लंकेश्वर, लंकापति लंछित ६५.२४ लांछन- चिह्नवाळु लाग ८७.७ मोको, अवसर
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लाद १८९.२१ प्रसन्नता, आनंद (सं. ह्लाद) लाभ- २१५.८ मेळववुं, पामवुं (सं. लभ्)
लावन १६८.१९ लावण्य
लाह- २६१.११ लाभ पाम्या
लाह ८९.१६ ल्हावो (सं. लाभ)
लाहो १०५.९ लहावो (सं. लाभ) लिहाव २२५.१२ लखाववुं (सं. लिखापय्) लीह लोप- २२१.२२ मर्यादा लोपवी, आमन्या ओळंगवी
लुछणा २६०.१७ ओवारणां (सं. न्युच्छन) लेण २६१.११ लेवुं ते
लेयण १७.११ लेवुं ते
लोकाकाश ४३.२४ द्रव्योना आधारभूत
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