Book Title: Prachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 725
________________ ७१० प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह चउफेरी २१७.२६ चोफेर, चारे तरफ | चंग ७६.२७ डफना प्रकारचं एक वाद्य (फा.) चउबारो २१०.३ मथाळा परनी चारे बाजु खुल्ली | चंग ७७.३ सुंदर (सं.) स्थापत्यरचना (सं. चतुर) : चंगेरी २२४.२९ टोपली (दे.) । चउमुख २१६.७ चोमुख, चारे बाजु मुख होय तेवू | चंदप्पहो ३२.२३ चंद्रप्रभ स्वामी (सं. चतुर्मुख) चंदुज्जल २६४.२४ चंद्र जेवू उज्ज्वळ चउविह ५७.२६ चतुर्विध, चार प्रकारनो चंदूआ ६७.२३ चंदरवा (सं. चंद्रोदय) चउविहार २७९.५ चोविहार, चार प्रकारना | चंप-३६.२० चांपवू, दबाव, आहारनो त्याग (सं. चतुर्व्याहार) चाउ ४.२२ चउसरां २२४.२७ चार सेरवाळां चाउल २२९२३ चावल, चोखा (दे.) चउसाल ७२.२ विशाळ, विस्तृत (सं. चतुःशाला) | चाचिर १३०.१६ चोक, चोगान (सं. चत्वर) चउंआल २५१.२२ चुमालीश चातुक ९०.१ चातक पक्षी चकचूर २२.२६ चूरेचूरा चाप ७६.२२ धनुष्यनी पणछ (सं. चाप) चक्करयण १६८.१२ चक्रवर्ती राजानुं मुख्य | चारित ३१.३ चारित्र, संयमधर्म आयुध (सं. चक्ररत्न) चामरकुंभ २००.१८ चक्कीसर १६७.३० चक्रीश्वर, चक्रवर्ती चाय २०८.१० चक्री ३४.३० चक्रवर्ती राजा चारोत्तर ४७.९ -ना उपर चार चक्रीसर ३५.१६ चक्रवर्ती राजा (सं. चक्रेश्वर) | चाह-२३२.२३ जोq (दे.) चख-१८१.२६ चाखवू ? चावा २४३.१२ चाह, अनुराग चड २६१.२२ तरत ? चाह १५१.३० इच्छा, अभिलाष चडवड ३.१६ चटपटीथी, आतुरताथी, झडपथी | चिइ २१६.११ चैत्य, जिनमंदिर (दे. चडपड) चिउ २४४.२६ चार चमरी १५२.१० चित्र ५१.१० आश्चर्यभूत, चकित चरण १५४.१४ चित्रशाला ८२.२३ ज्यां चित्र गोठव्यां होय ते चरण ४१.४ चारित्र, संयमधर्म, दीक्षा दीवानखानुं (सं.) चरि{ २७७.१६ अंतिम, छेल्लु (सं. चरम) चित्राम २१०.११ चितरामण चरिय ५८.२६ चरित्र चिय २१३.२० चैत्य, जिनमंदिर चल-१७८.२४ चलित थQ (सं. चिहुं १७.१३ चारेय (सं. चतु: + खलु) चलण २५१.८ चरण, पग चिंतिअ २१७.२३ चिंतित, विचारेलु चलुं ७२.१४ जम्या पछी हथेळीमां पाणी लई मों चीतरउ २७०.९ चित्तो (सं. चित्रक:) चोख्खं करवं ते (सं. चुलुक) चीतार-२७५.२४ चित्तमां लेबु, स्मरणमां लेबुं चव-३४.१९ च्युत थवू, देवमाथी मनुष्य के तिर्यंच । चीवर ३७.१९ वस्त्र अवस्थामा जq. १७१.११ अन्य अवतारमा चुक २२९.२३ चोक, साथियानी आकृति (सं. चतुष्क) चवरी २०७.२६ लग्नमंडप (दे. चउरी) चूआ ७६.१७ विविध गंधद्रव्योना मिश्रणथी चहुंटां ६७.१९ चौटां बनावेलुं एक गंधद्रव्य जवु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762