Book Title: Prachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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शब्दार्थ
७११
चूउं २८०.२४ विविध गंधद्रव्योना मिश्रणथी | छत्तकार १७.१० छत्र धरवू ते ? रक्षण ? बनेलं एक गंधद्रव्य
छद्मस्थपणुं ३८.२४ सावरण ज्ञानदशा, चूकव-५.२३ भ्रंश कराववो, (साधनामां) भंग केवळज्ञान पूर्वेनी दशा पडाववो
छन्नवई १६८.१६ छन्न (सं. षण्नवति) चूकव-जुओ मेखनइ मेखइ चूकव(b)
छबुतरउ १११.२ चबूतरो चूत १४८.२३ आंबो (सं.)
छयल १२२.१६ छेल, रसिक, चतुर चूया १९१.१९ विविध गंधद्रव्योथी मिश्रति एक छरिरी १९४.९ गंधद्रव्य
छल १६८.१० चूर-६६.२५ चूरो करवो, विनाश करवो छल-२६३.७ परास्त करवू चूंप १५३.१८ झडप, चपळता १९४.२७ छ्योर-२७०.७ छोडवू, मुक्त करवू चानक, उत्साह
छंड-३.१९ छोडवू, छोडवू चेइ १९२.९ चैत्य, मंदिर
छंडाव-३६.२७ छोडावर्गा, दूर करावq चेटी ११०.११ दासी (सं.)
छंद ४.१५ लहेर, मनमोज चेडा-चेटक २४९.९ जादु, मेली विद्या छाबडा जुओ छडाष्ठाबडा चेतन ८.२४ चेतना, भान, स्मृति
छार-१५९१२ छोडवू, छोडवू चेत्र २१७.२५ चैत्य, जिनमंदिर
छाह-५७.८ –ना उपर फेलावू, व्यापq १६३.१ चैत्र २०४.१३ चैत्य, मंदिर
छावं, ढांक चोकडी १६५.१३ लोक, भुवन (तुच्छकारमा) छांहि ८०.१५ छांय, पडछायो चोथाई १५२.११ चोथो भाग
छिरक-१२०.२४ छांटq (हिं.) चोधारी २४.१६
छीज-१४४.२ क्षीण थर्बु (सं. छिद्यते परथी हि.) चोपट १६५.१३ चारे तरफथी, पूरेपूरूं छीन २४.१९ छिन्न, भग्न चोलणो १२२.१४ झम्भो (हिं. चोलना) छीप-१३६.१२ छुपाएं चोवीसवटो २०५.१६ चोवीस जिनप्रतिमाओनो | छेह १६.१० छेडो, अंत (सं. छेद) पट ?
जक २६०.७ चोसरा ८६.१६ चार सेरनो (हार)
जक्ख १६८.१४ यक्ष चोसाल २००.५ विशाळ, विस्तृत (सं. चतु:- जगत्र १६५.२७ त्रणे जगत शाला)
जगनाह ३१.२० जगतना नाथ - अधिपति च्यारियु २७५.२४
जगीश, जगीस ८४.८, १९२.१७ इच्छा, छकना ११०.१४ वाद्यविशेष
अभिलाषा (सं. जिगीषा) छटक १९४.२ झडप, त्वरा
जगीस २००.१९ छटक-४३.११ छंटकावq ? नाखवू ?
जडाव १९६.७ छटक-१३४.२७ छांटवू
जढ २०८.१७ छटा २६.९
जणाले २५८.१५ जिनालय, जिनमंदिर छडाछाबडा १६४.७ छंटकाव अने थापा जथा १८९१२, १३ यथा, जेम ? यथा रूपे, छतई २७८.२२ होतां
बराबर रीते, साचेसाच ?
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