Book Title: Prachin Jain Smaraka Mumbai Author(s): Shitalprasad Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 8
________________ (४) (7) Thana Gazetteer Vol. XIII. (8) Bijapur Vol. XXIII. (9) Kolhapur ,, (1886) Vol. XXIV. (10) Sholapur ,, (1884) Vol. XX. (11) Nasik , (1888) Vol. XVI. (12) Baroda , (1883) Vol. III. (13) Rewakantha (te. G. (1880) Vol. VI. (14 Ahmedabad G. (1879) Vol. III. (15) Khundrsh G. (1880) Vol. XII. इनके सिवाय और भी कुछ पुस्तकें देखी गई। कुछ वर्णन दिगम्बर जैन डाइरेक्टरीसे लिया गया। हमको पुस्तकोंकी प्राप्तिमें Imperial Library of CalCutia zile Bombay Royal Asiatic Society Litrary B..!ny से बहुत सहायता प्रात हुई है जिसके लिये हम उनके अति आभारी हैं । जो कुछ वर्णन हमने पढ़ा वही संग्रहकर इस पुस्तकमें दिया गया है । जहां कहीं हम स्वयं गए थे वहां अपना देख हुआ वर्णन बढ़ा दिया है । जहां दि० जैन मंदिर व प्रतिमाका निश्चय हुआ वहां स्पष्ट खोल दिया है। जहां दिग० या वे का नाम नहीं प्रगट हुआ वहां जहां जैसा मूलमें था वैसा जन मंदिर व प्रतिमा लिखा गया है । इस बम्बई प्रांतके तीन विभाग है- गुजरात, मध्य और दक्षिण, जिनमें से गुजरात विभागमें अधिकांश श्वेताम्बर जैन मंदिर हैं तथा मध्य और दक्षिणमें मुख्यताम्ये दिगम्बर जैन मंदिर है ऐसा अनुमान होता है। इस बम्बई प्रांतमें जेन राजाओंने अपनी अपनी वीरताका यशस्तम्भ बहुत कालतक स्थापित रक्खा, यह बात इस पुस्तककेPage Navigation
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