Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Tribhuvandas Laherchand Shah
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

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Page 17
________________ महाराज सम्प्रति के शिलालेख (३) डा० फ्लीट भी अशोक का राज्याभिषेक बुद्ध संवत् २१८ में उपरोक्त प्रमाणों से मानते हैं। . (४) जनरल सर कनिंगहम अपनी पुस्तक (कॉर्पस इन्रक्री'प्शन्स इन्डीकरम) की प्रस्तावना पृ०६ (IX ) में लिखते हैं कि अशोक का राज्य काल बुद्ध सं० २१५ से २५६ तक ४११८ वर्ष तक रहा है। (५४४-२१५ = ई० पू०१९ ३२६ से ई०पू०२८८ तक) (५) अन्तिम शाक्य मुनि बुद्ध का निर्वाण सिंहल द्वीप और वर्मा के बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार ई० पू० ५४४ में हुअा है और उसके २१८ वर्ष बाद अशोक का राज्याभिषेक हुआ है । उसके पिता का मरण बुद्ध निर्वाण के २१४ वर्ष बाद हुआ था, उसके बाद चार वर्ष में अपने भाइयों को समझा बुझाकर२० स्वयं राज्य गद्दी पर बैठा। ___ इस हिसाब से अशोक के पिता विन्दुसार की मृत्यु ई० पू० (५४४-२१४)= ३३० में हुई सिद्ध होती है और अशोक का राज्याभिषेक इस भाँति ई०पू० (३३०-४) ३२६ में माना जायगा । (६) अशोक ई० पू० ३२६ और ३२५ के बीच२१ में गद्दी पर बैठा। (१७) इण्डियन एण्टीवरी ३७ पृ० ३५० । (१८) यह ४१ वर्ष का अंक किस तरह पाया उसके लिए नीचे देखिए निर्णय पृ० और उसकी टिप्पणी नं० २७ ।। (१६) वह गद्दी पर बैठा ई० पू० ३२६-३० और उसके चार वर्ष बाद राज्याभिषेक हुश्रा अर्थात् ई० पू० २२५ । (२०) बुक आफ इण्डियन इराज-सर कनिंगहम रचित पृ० ३४ से ३६ तक जो कि दूसरी पुस्तकों में मार डालने का लिखा है। (२१) देखिए इण्डियन एण्टीकरी पु० ३२ पृ. २३२, मि० पी० सी. मुकुर्जी, असिस्टेण्ट डाइरेक्टर जनरल श्राफ आर्कियोलोजी । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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