Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Tribhuvandas Laherchand Shah
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

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Page 27
________________ महाराजा सम्प्रति के शिलालेख २१ को उलट डालने के प्रयत्न में लग गया था। फिर उसके बाद जब सिकन्दर को राजा पर हमला करने के लिए ले जाना चाहता था, उस समय एक ज़बरदस्त जंगली हाथी उसके सामने आया और पालतू की भाँति उसके पास आकर खड़ा हो गया 3 और जल्दी से अपनी सूड़ से उसे उठाकर अपनी पीठ पर बैठा लिया और सारी सेना में उसे अपनी पीठ पर बैठाकर घूमा और लड़ा। इस तरह सेएडोकोट्स की५४ विजय हुई और वह भारत पर शासन करने लगा। इस समय सेल्यूकस अपने राज्य की नींव दृढ़ करने और अपना अधिकार जमाने में लगा हुआ था, जिससे उसने पहिले सब ठीक ठीक करके सन्धि५६ कर ली और (५३-५४) ऐसी किसी घटना के बारे में बौद्ध पुस्तकों में कोई लेख है या नहीं यह देखना चाहिए। यदि उनमें भी अशोक के बारे में ये ही बातें हों तब तो अशोक वही है सिद्ध हो सके। (५५) यह भी देखना चाहिये कि सेण्डोकोट्स शब्द का व्युत्पत्ति प्रतिपादित क्या अर्थ है ? इसकी जाँच करनी चाहिए। अशोक स्वयं शरीर से बेडौल तथा कुरूप भी था तो ऐसे ही किसी अर्थ का प्रतिपादक सेण्डोकोट्स शब्द तो नहीं है ? इस सम्बन्ध में मैं एक ग्रीक के अच्छे लेखक से मिला था किन्तु वे कुछ विशेष स्पष्ट न कर सके । (१६) अलेक्जेण्डर के बाद गद्दी पर बैठने वाला ग्रीक बादशाह था। उसने ई० पी० ३०५ में भारत पर चढ़ाई की थी। किन्तु मगधपति को विजित न कर सका था (अशोक कैसा राजनीतिज्ञ तथा शूरवीर रहा होगा यह इससे मालूम हो जाता है, क्योंकि नीकेटोर भी कोई कमजोर नहीं था, बल्कि सिकन्दर के समान ही प्रतापी था) और सन्धि के रूप में अपनी पुत्री मगध-पति को दी थी और पाँच सौ हाथी लेकर लड़की की शादी करके अपने देश के लिए यहाँ से सर्वदा के लिए. बिदा ली थी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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