Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Tribhuvandas Laherchand Shah
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

View full book text
Previous | Next

Page 24
________________ प्रा० जै० इ० दूसरा भाग (जिस देश का दर्शन तक चन्द्रगुप्त के करने का कहीं वर्णन नहीं है ) ग्रीकों को निकाल बाहर किया।" इस बात की हाँ में हाँ मिलाकर अटल सत्य के रूप में मान लिया है। ग्रीक इतिहास की मूल प्रति जिसके आधार पर मेसर्स । जस्टिन तथा स्टे वो ने सारे संसार को सेण्डोकोट्स और चन्द्रगुप्त का एक ही होना बतलाया है उसका भाषान्तर मि० क्रिएडल ने ( देखिए पोम्पी टोगी XV 4) किया है और जिसका उद्धरण मि० हुल्टज ने४४ अपनी पुस्तक में दिया है उसका रूपान्तर मैं यहाँ देता हूँ। गोया कि वह कुछ बड़ा है फिर भी उसके आधार पर बहुत ही ज्ञातव्य बातें स्पष्ट हो जायेंगी। सिकन्दर के राज्य के टुकड़े टकड़े कर डालने के बाद मि० सेल्यूकस ने भी पूर्व की और कई आक्रमण किए। पहले उन्होंने बेबोलोनिया जीता और फिर जीत के घमंड में आकर सेना के साथ बेक्ट्रिअन्सों को अपने अधिकार में किया और उसके बाद भारत पर चढ़ाई की। सिकन्दर के मरण के बाद जिस भाँति गुलामी की जंजीर तोड़ दी गई हो उस तरह उसके सारे सरदारों को वहाँ वालों ने कत्ल कर डाला। उनका मुख्य सरदार सेण्डोकोट्सथा, जिसने भारतीयों के स्वातंत्र्य के वास्ते युद्ध किया था, किन्तु विजय के बाद जो अत्याचार४५ उसने किये उनसे वह मुक्तिदाता की उपाधि गँवा बैठा । कारण कि गद्दी पर बैठकर४६ (४४) अशोक के शिलालेख नामक ग्रन्थ पु० १ पृ. XXXIII देखिए। (४५) अशोक जुल्मी था यह इस बात से सिद्ध होता है। ... (५६) उस समय अशोक गद्दी के अधिकारी रूप में राज्य करता था यह इससे मालूम हो सकता है। (ई० पू० ३२७ में) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82