________________ कथयेद्देवलोकं यः] महाभारतस्थ [कथं च बहुदाता स्यात् कथयेद्देवलोक यः 12. 52. 50. कथं कथाभवत्तीवा 7. 167.5deg. कथं कन्यासु ये जाताः 13. App. TA. 73 pr. कथं कपोतेन पुरा 12. 141.50 कथं करिष्यसे वीर7. App. 13. 37 pr. कथं करिष्याम्यधना महर्षे 3. 132. 12. कथं कर्ण युधां श्रेष्ठं 7. 106. 6. कथं कर्णो नाभवट्ठीप एषाम् 5. 26. 200. कथं कर्तव्यमस्माभिः 12. 327. 77. कथं कर्ता स्विदीश्वरः 3. 181. 5. कथं कर्म क्रियात्साधु 14. 35. 19". कथं कर्म विना दैवं 13. 6. 23. कथं कर्म शुभं कुर्या 3. 199. 17. कथं कष्टाच्च संसारात् 14. 17. 2. कथं कसं तु बलवान् 2. App. 21. 885A 1 pr. कथं कामं न संदध्यात् 1. 155. 36%; App. 79. 103 pr. कथंकारं शपामोऽन्यान् 1. App. 81. 35A 1 pr. कथं कार्यमिदं भवेत् 12. 165. 6. कथं कार्य परीक्षेत 12. 258. 1 . कथं कार्य भवेन्मम 4. 16.34. कथं कार्य हितैषिणा 12. 136. 344. कथं कार्यः परिग्रहः 12. 327. 37. कथं कालवशं गतः 1. App. 86. 15 post., 37 post. कथं कालवशं प्राप्तः 1. App. 86. 13 pr. कथं कुमारी भगवन् 9.51. 1". कथं कुरुषु संजय 7. 130. 104. कथं कुरूणामृषभः 3. 3. 15.6. 15. 1". कथं कुर्यात्सतां मतम् 1. 196. 144. कथं कुर्यादरिंदम 12. 115 14. कथं कुर्या नु भद्रं वः 5. 10. 2. कथं कुर्वन्न च्यवते स्वधर्मात् 3. 184. 2. कथं कुलक्षयो न स्यात् 9. 62. 39. कथं कुलविपर्ययः 3. App. 21. 224. कथं कृष्ण युधिष्ठिरः 5. 88. 22. कथं कृष्णस्त्वया राजन् 2. App. 19. 4 pr.; App. 20.5 pr. कथं कृष्णस्त्वयार्चितः 2. App. 19.6 post. ; App. 20. 6 post., 8 post. , 10 post., 15 post., 17 post., 21 post. , 25 post. कथं कृष्णा गमिष्यति 3. 141. 34. कथं कृष्णोऽर्चितस्त्वया 2. 34. 9"; 353*. 1 post.; App. 19. 2 post., 10 post., 14 post. ; App. 20. 2 post., 3 post., 12 post. , 12A 1 post., 23 post., 29 post. कथं केन च हेतुना 3. 115. 80. कथं केभ्यश्च धयं च 13. App. 14B. 70 pr. कथं केशव पाण्डवाः 5. 88.8. कथं क्षत्रियसंस्थश्च 12. 122. 136. कथं क्षत्रे अजायथाः 3. 36. 19". कथं गच्छति कौन्तेयः 2. 71.1". कथं गच्छति सत्तम 3. 200. 29d. कथं गच्छथ सस्नेहाः 12. 149. 83deg. कथं गरुत्मान्पक्षीणां 13. App. 1A. 4 pr. कथं गुणा भविष्यन्ति 12. 293. 33. कथं गुरुं त्वां धर्मज्ञं 15. 6.9. कथं गोलोकमाश्रितः 13. App. 9A. 2 post. कथं गोवृषभो देव 13. 128. 9. कथं गोहरणे ब्रूयात् 5. 77. 19". कथं घोरां तरिष्यसि 4. 1. 184. कथं च कामचारी सः 1. 27.30. कथं च जातरूपेण 14. 5. 1... कथं च ज्ञातयस्तात 5. 126.50. कथं च तपसा युतः 3. 110.64. कथं च तस्मै वर्तेयं 14.6.210. कथं च तीर्थप्रवरे 9.34. 380. कथं च तीव्र दुःखं मे 5. 174.26". कथं च स्वमिहायातः 1. App. 16. 1 pr. कथं च दृष्टवान्युद्धं 9. 34. 4. कथं च धर्मयुक्तास्ते 5. 3. 11". कथं च नरकं नृप 13. 112.2". कथं च नष्टा ज्ञातिभ्यः 3. 65. 350. कथं च नाजयद्भीष्मः 6. 15. 17. कथं च नानृतं तत्स्यात् 1. 206. 23deg. कथं च नाम भुत्वेमा 9.4.21". कथं च नायं तत्रापि 11. 24. 28*. कथं च निर्जनेऽरण्ये 1. 160. 34. कथं च निर्जितः संख्ये 2. App. 6. 2 pr. कथं च निस्तरेमास्मात् 3. App. 25. 136 pr. कथं च निहतः पापः 10. 5.34 . कथं च निहतः संख्ये 9. 48*. 1 pr. कथंचनेति प्रतिभाति मे मनः 4. 10.76. कथं च पतितास्यस्मिन् 1..73. 180. कथं च परिचारकाः 4. 6*. 2 post. कथं च पाण्डवाः सर्वे 8.22. 15. कथं च पुरुषास्तत्र 13.71.8deg. कथं च फलमामोति 3. 200. 54deg. कथं च बहुदाता स्यात् 13.71. 11". - 616 -