Book Title: Patrika Index of Mahabharata
Author(s): Parshuram Lakshman Vaidya
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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________________ किं नु नाहं त्वया पूतः] श्लोकपादसूची [किं नु स्विद्धिमवान्भिन्न किं नु न विद्यते कमान 1.5:10 post. 補補補補補補補抹抹抹抹抹稀梯 किं नु नाहं त्वया पूतः 12. 24. 26deg. किं नु निःक्षत्रियो लोकः 1. App. 55. 77 pr. किं नु नो विद्यते कृत्यं 7. 164. 29". किं नु पश्यसि बाणौघान् 7. 69. 21". किं नु पापतरं ततः 13. 337*. 19 post. किं नु पार्थोऽर्जुनः साक्षात् 4. 34. 9deg. किं नु पूर्वमयं बालः 9. 43. 35". किं नु पूर्व ततो देवी 14. 21. 19. किं नु पूर्व पराजैषीः 2. 60.79,86. किं नु पूर्व प्रवर्तते 14.24.2. किं नु प्राप्स्यामहे कृष्ण 6. 92.6deg. किं नु बन्धुविहीनस्य 11. 1. 11". किं नु ब्रह्मा च रुद्रश्च 12. 327.8". किं नु भीमश्चिरायते 3. 1369*. 3 post. किं नु भीषयसीव माम् 12. 169.84. किं नु मन्ये जनार्दन 14. 66.8. किं नु मर्त्यः करिष्यति 8. 27. 294. किं नु माद्रीसुतौ हत्वा 8. App. 18. 124 pr. किं नु मां नात्र पीडयेत् 12. 258. 100. किं नु मां मन्यसे पार्थ 4. 18. 34".. नु मे क्षममुत्तमम् 5. 50. 56deg. नु मे दुष्कृतं कृतम् 3. 62. 12. नु मे नाग्नयः शूद्र 3. 138. 4. नु मे मरणं श्रेयः 3. 59. 10. नु मे सुकृतं भवेत् 6. 102. 364. 12. 139. 34. नु मे सुकृतं भूयात् 1. 43. 15. नु मे स्थाच्छुभं कृत्वा 12. 341.76. किं नु मे स्यात्कृतं कृत्वा 1. 221. 7. किं नु मे स्यादकुर्वतः 3. 59. 10. 5. 34. 19. किं नु मे स्यादिदं कृत्वा 3. 59. 10. 5. 34. 196. किं नु मे हृदयं त्रस्तं 7. 50. 4. किं नु मोक्ष्यामि धनुषा 3. 40. 37. किं नु मोहान्न पश्यन्ति 12. App. 28. 26 pr. किं नु युद्धात्परं लाभ 5. App. 9. 82 pr. किं नु युद्धेऽस्ति शोभनम् 5. 70. 456. किं नु राज्येन ते कार्य 11. 11. 9". किं नु राज्येन वै कार्य 11. 15. 13. किं नु राधेय वाचा ते 5. 21. 166. किं नु रूपमहं कृत्वा 3. App. 27. 44 pr. किं नु रोचयिता त्विह 4. 68*. 1 post. किं नु वक्ष्यति धर्मज्ञः 2. 62. 29deg. किं नु वक्ष्यति धर्मात्मा 14. 66. 50. किं नु वक्ष्यति फाल्गुनिः 14.67. 24. किं नु वक्ष्यति बीभत्सुः 2. 62. 30deg. किं नु वक्ष्यति राजासौ 6.41. 280 122*.1pr.किं नु वक्ष्यति वाष्र्णेयी 12. 1. 16. किं नु वक्ष्यति वै सत्सु 11. 60*. 1 pr. किं नु वक्ष्यति सम्राण्मां 4. 19. 25". किं नु वक्ष्यन्ति ते क्षात्रं 7. 97.3". किं नु वक्ष्यसि भीष्मोऽसौ 6. 122*.2 pr. किं नु वक्ष्यसि राजानं 7. 118.5". किं नु वक्ष्यसि संसत्सु 11. 24. 19". किं नु वक्ष्यामि तानहम् 3. 19. 280. किं नु वक्ष्यामि ते वचः 1. 94. 690. किं नु वक्ष्यामि संसदि 10. 3. 23. किं नु विद्याबलं किं वा 3. 176.6". किं नु शक्यं मया कर्तुं 1. 1515*. 6 pr. 3. 256.803 265. 28. 4. 34. 8"; App. 15. 37 pr.; App. 32. 4 pr. 7. 169. 570. 12. 220. 79". 13. 40. 420. किं नु शेषमभूत्तदा 9. 28. 194. किं नु शेषमुपास्महे 9. 3. 324. किं नु शेष भविष्यति 3. 188.54 किं नु शोचति भर्तारं 11. 17. 276. किं नु शोचसि पाण्डव 12. 32.84. किं नु शोचसि पुत्रक 2. App. 31. 9 post. किं नु श्रेय इहोच्यते 12. 154. 14. किं नु श्रेयस्करं कर्म 7. 26. 13. किं नु श्रेयस्करं भवेत् 9. 49. 59. किं नु श्रेयः पुरुषस्येह भद्रे 3. 184.24. किं नु श्रेयो हि मे भवेत् 13. 21. 22. किं नु संजय संग्रामे 7. 61. 5". किं नु संशप्तकान्हन्मि 7. 27. 50. किं नु साधयते फलम् 10. 2. 50, 5t. किं नु सुप्तोऽस्मि जागर्मि 18. 2. 48". किं नु स्याच्छाश्वतं स्थानं 12. 318. 47. किं नु स्यात्कुशलं मम 4. 15.274. किं नु स्थादजितं मया 7. 53.50d. किं नु स्यादधिकं तस्मात् 3. 227. 10%. किं नु स्यादिति संचिन्त्य 12. App. 17A. 16 pr. किं नु स्याद्भरतर्षभ 14. 19. 58'. किं नु स्याम्मातलिरयं 3.69. 24*. किं नु स्वप्नो मया दृष्टः 3. 61. 936. किं नु स्विस्कुरवोऽकार्युः 7. 1. 10. किं नु स्विदेतत्पततीति सर्वे 1. 83. 8. किं नु स्विद्दीयते मही 2. 22.9. किं नु स्विद्धिमवान्भिन्नः 2.22.9. -741 -

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