Book Title: Patrika Index of Mahabharata
Author(s): Parshuram Lakshman Vaidya
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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________________ किं वक्ष्यामि जनाधिपम् ] लोकपादसूची ... [किं वै भीमार्जुनौ तत्र किं वक्ष्यामि जनाधिपम् 3. 238. 184. किं वक्ष्यामि महाभुजम् 3. 19. 27. किं वक्ष्यामि महारथम् 3. 19.26. किं वदिष्यति भारत 1. 998*. 6 post. किं वदिष्यामि सांप्रतम् 1. App. 95.31 post. किं वने वै करोषि च 3. 123. 36.. किं वयं कारिताः पूर्व 15. 22. 26". किं वरेणाल्पभाग्यस्य 2. 16. 26. किंवर्ण कीदृशं चैव 14. 19. 40deg. किं वः क्रव्यादभाषितैः 12. 149. 100%. किं वा कल्मषनाशनम् 13. 151. 1'. किं वा कार्यमकुर्वन्त 1. App. 18. 2 pr.' किं वा कार्य ब्रवीहि मे 13. 20. 68". किं वाकार्षीः प्रवासकः 3. 15. 1 . किं वाकाथुदिशेऽब्दे व्यतीते 3. 294. 41. किं वा कुर्यो मृत्युना रक्षितोऽसि 8. 939*. 4. किं वा कृत्वा कृतं भवेत् 1. 77.74. किं वा कृत्वा सुखी भवेत् 12. 136. 84. 13. 100.4". किं वा कृत्वेह पौरुषम् 1. 23. 11. किं वाचा बहुनोक्तेन 9. 55. 39". किं वाच्याः पाण्डवेयास्ते 5. 130. 4".. किं वा ज्ञानं विदन्ति ते 6. 61.54. किं वा तत्र गता देव 14. App. 4. 591 pr. किं वा तस्याः फलं देव 14. App. 4. 3122 pr. किं वा तात चिकीर्षसि 4. 9. 3. किं वा ते करवाण्यहम् 4. App. 6. 44 post. किंवा ते चित्तविभ्रमः 8. 687*. 1 post. किं वा ते रोचतेऽनघ 12. 192. 230. किं वा तौ तत्र चक्रतुः 12. 193. 2". किं वा त्वं तात कुर्वाणः 4. 3. 50. किं वा त्वं पर्युपाससे 12. 349.4". किं वा त्वं मन्यसे द्विज 14. 28. 21. किं वा त्वं मन्यसे नृप 13. 51.7. किं वा त्वं मन्यसे प्राप्तं 8. 49. 13". किं वा त्वं मन्यसे शुभे 1. 18.3. किं वा दुष्करमुच्यते 3. 245. 260. किं वाद्य प्रसमीक्षितम् 2. 19. 42. किं वा धर्मफलं तेषां 13. App. TA. 151 pr. किं वा धर्मस्य लक्षणम् 12. 184. 5. किं वा ध्यानेन द्रष्टव्यं 13. App. 11. 14 pr.. . किं वा नः परिहास्यति 2. 66. 94. . किं वान्यच्छ्रोतुमिच्छसि 13. 22: 10. किं वान्यन्मन्यते भवान् 3. 25. 11. 13. 51.8M... किं वान्यन्मन्यसे द्विज 13. 51. 124... किं वा परममुच्यते 12. 122. 14.किं वापि पूर्व जागर्ति 12 122. 129... किं वाप्येकं परायणम् 13. 135. 2. .. किं वा प्रलपितेनाथ 9.84*. 1 pr. किं वा फलं परं प्राप्य 12.270. 32.. किं वा भक्ष्यमभक्ष्यं वा 13. 117.50. किं वा भगवतां कार्य 5. 81. 64". किंवा भवान्मन्यते युक्तरूपं 2. 52. 10. किं वाभिशक्कोऽस्मि ह कौरवेयैः 8. 1110*. 14. किं वा मत्तश्चिकीर्षसि 13. 20. 13. किं वा मां प्रतिपत्स्यथ -12. 96.3. किं वा मृगयसे बने 3. 61.113. . किं वा राधेय मन्यसे 1. 193. 194. किं बाशक्यं परतः कीर्तयिष्ये 6. 106*. 6. किं वास्त्यविनिपातितम् 12. 90. 14. किं वास्य कार्यमथ वा सुखं च 5. 246*. 11. किं विधातेन ते पार्थ 3. 296. 30%.. किं विधातेन ते विप्र 3. 135. 22. किं विचारेण वः कार्य 4. 660*. 3 pr. किं विचार्यमतः परम् 12. 439*.2 post. किंविद्यः किंपरायणः 12.-222. 103; 269. 1'. किं विद्विषो वाद्य मां धारयेयुः 2. 63. 7. किंविशिष्टाः कस्य धामोपयान्ति 1. 85. 3deg.. किं विशेष करिष्यति 12. 212. 34... किं विशेष प्रपश्यन्ति. 11 12*. 4 pr.; 17*.5 pr. किंविस्ताराः किमायताः 2.6. 15.. किंवीर्यबलपौरुषः 7. App. 8. 63 post. किंवीर्यः किंपराक्रमः 2. 16. 10. 3. 258.4". किंवीर्यः किंबलचासौं -13. App. 1A. 6 pr. किंवीर्या मानवास्तत्र 3. 188.6%. किंवीर्याः किंपराक्रमाः 5. App. 8. 12 post. किंवीयों वा बृहस्पते 5. 16. 22". किं वृत्तेन किमात्मना 12. 256. 14. किं वेदयति वा जीवः 12. 179. 10deg. किं वेदवादिनां कार्य 4: App. 41. 14A 1 pr. किं वेद्यं परमं राजन् 3. 885*.9 pr. किं वै कृता पाण्डवे ते प्रतिज्ञा 8. 1110*. 8. किं वै जानपदा जनाः 2. 603*. 3 post. किं वै तूष्णीं ध्यायसि सृञ्जय त्वं 12.29. 1376. . किं वै पृथक्त्वं धृतराष्ट्रस्य पुत्रे 5. 29. 284. किं वै भीमस्तदाकार्षीत् 7.123. 1. . किं वै भीमार्जुनौ तत्र 7. 1063*. 1 pr.. पादसूची-94 -745 -

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