Book Title: Patrika Index of Mahabharata
Author(s): Parshuram Lakshman Vaidya
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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________________ कुण्डिकाकरकप्रदाः] महाभारतस्थ [ कुतः स्युर्मोक्षकाङ्क्षिणः कुण्डिकाकरकप्रदाः 14. App. 4. 784 post. कुण्डिकां चर्म संशिक्यं 13. App. 15. 3901 pr. कुण्डिनं प्राविशत्पुरम् 3.71.2. कुण्डिनं यातुमर्हसि 3. 57. 17'. कुण्डिनो भरिताः शतम् 2. 54.2. कुण्डिनो हारिणः शतम् 2. 505*. 2 post. कुण्डे चास्मिन्प्रतिष्ठितम् 1. App. 73.77 post. कुण्डेन साधयेत्प्रजाः 3.7.44*. 2 post. कुण्डेभ्यस्तु समुत्थिताः 1. 1139*. 1 post. कुण्डोदरमहोदरौ 1. 31. 15; 108.6%; App. 41. ___12 post... कुण्डोदरः पदातिश्च 189. 50%. कुण्डोदः पर्वतो रम्यः 3. 85. 200. कुण्डो भोक्ता च भोजी च 13. App. TA. 145 pr. कुत आगम्यते सौते 1. 1. 7. कुत एतत्प्रवर्तते 12.224.24. कुत एवं गतिःशुभा 5. 105.96. कुत एव तवापीदं 1. 195. 6. कुत एव तु पापकम् 13. App. 15. 2381 post. कुत एव तु मानुषात् 12.78. 30f. कुत एव तु सूतजः 5. 195. 144. कुत एव नराधिपाः 7. 52. 11'. कुत एव परत्र वै 12. 265. 11t. कुत एव पराजयः 7.56. 40. कुत एव परित्यक्तुं 1. 145. 34deg; 1603*. 1 pr. कुत एव महर्षयः 3.827*.3 post. कुत एव महागजैः 9. 22. 58. कुत एव महाप्राज्ञौ 1. 133. 8. 2 App. 43. 81 pr. कुत एव स पार्थिवः 15. 23. 16. कुत एव स्वतन्त्रता 12.308. 1394. कुत एव हि दुर्भिक्षं 6. 12. 10. कुत एवाधिरोहितुम् 3. 109. 13d. कुत एवाभ्रराजयः 12. 139. 16. कुत एवावरान्राजन् 12. 192. 60%. कृत एवेतरे मृगाः 1. 111.9. कुतन्तीं विततां मुनिः 12. 139. 35. कुतपस्य च लोमानि 13. App. 15. 3507 pr. कुतश्च कवचं तस्य 3. 287. 20. कुतश्चागमनं तव 1. 142.34. कुतश्चागम्यते सुभ्र 12. 221. 18. कुतश्चापीदृशं सार्थ 10.9. 380. कुतश्चायं समुद्योगः 1. App. 79. 26 pr. कुंतश्चाई कुतश्च त्वं 14. 35.7". कुतश्चित्परिचिन्तयन् 12. 140.24. कुतश्चैतच्छृतवन्तः प्रियं ते 3. 294. 41. कुतश्चैवागता नृप 3. 278. 4. कुतस्तदनुयायिनः 3. 272. 50. कुतस्तु पुरुषैरिह 13. 40. 134. कुतस्ते कुरवः कुतः 4.676*. 3 post. कुतस्ते भयमागतम् 13. 118.90. कुतस्तेयं शकुन्तला 1. 596*. 1 post. कुतस्तेषां पराभवः 9. 106*. 1 post. कुतस्तेषां समागमः 12. 179. 124. कुतस्त्वमद्य विस्मृत्य 15. 17. 19". कुतस्त्वमसि शोभने 1.65. 12". कुतस्त्वमसि संप्राप्तः 1. 139. 19". कुतस्त्वमिति तेऽब्रुवन् 1. App. 114. 102 post. कुतस्त्वस्मद्विधस्तात 13. App. 3. 92 pr. कुतस्त्वं चागतो ह्यसि I. App. 114. 22 post. कुतस्त्वं समनुप्राप्तः 14. 92. 9. कुतस्त्वा कश्मलमिदं 6.24.20. कुतस्त्वामिदमागतम् 12.254. 3. कुतः कीट सुखं तव 13. 118. 14. कुतः कृतघ्नस्य यशः 5. 105. 10. 12. 167. 19deg3, 449*. 34 pr. कुतः कोपाञ्च यातना 13. 1. 20. कुतः क्षीरं वनस्थानां 13. 101.2 pr. कुतः क्षीरोदनं वत्स 13. 14. 829,83. कुतःक्षेप्तुं महाहवे 10. 60*. 1 post. कुतः परपरिग्रहे 12.308. 162. कुतः पापस्य तन्त्रणम् 5. 105. 11'. कुतः पुष्टानि मित्राणि 5. 105.3". कुतः प्राप्तोऽसि मानद 12. 125. 234. कुतः फलाम्यवाप्तानि 12.24.7. कुतः शस्त्रं कुतोऽनृजुः 5.94.21. कुतः शान्तिः कुतः सुखम् 10. 9. 41". कुतः श्रमो भर्तृसमीपतो हि मे 3. 281. 280. कुतः श्रोष्यामहे वयम् 12. 291.5. कुतः संजीवनं पुनः 12. 179. 134. कुतः संज्ञा मृता इति 7. App. 8. 32 post. 12.248... कुतः सुखमनीहया 5. 105.64. कुतः सृष्टमिदं विश्वं 12. 175. 1"; 267. 3"; 502*. 1 pr. कुतः स्थानं कुतः सुखम् 5. 105. 10. 12. 167. 19%; 449*.34 post. कुतः स्प्रष्टुं प्रवर्तते 12. 594*. 2 post. कुतः स्युर्मोक्षकाशिणः 12. 18. 26*. -756 -

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