Book Title: Patrika Index of Mahabharata
Author(s): Parshuram Lakshman Vaidya
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 752
________________ किं भूयः कथयाम्यहम् ] महाभारतस्थ [किं वक्ष्यन्ति नराधिपान् ... App. 1A. 461 post. ; App. 9. 107 post. किं भूयः कथयाम्यहम् 13. App. 14. 200 post. किं भूयः कथ्यतामिति 1. 13. 45". किं भूयः कथ्यतां वीर 13.51. 480. किं भूयः करवाणि ते 2. 144*. 1 post. किं भूयः प्रब्रवीमि ते 12. 151. 34. किं भूयः श्रोतुमिच्छसि 3. 201. 20'; 203. 12, 51"; 1041*. 1 post. ; App. 21A. 132 post. 5. 43. 221. 12. 119. 200%; 167. 236; 185. 2703 192. 1274; 193. 32*; 256. 22%; 273. 630; App. 19. 42 post. ; App. 20. 190 post. 13. 49. 284; 61. 936; 112. 274, 30%; 443*. 1 post. ; 540*. 3 post. ; App. 3. 175 post. ; App. 15. 305 post., 317 post., 396 post., 413 post., 675 post., 700 post., 716 post., 1565 post., 1615 post., 1777 post., 1890 post., 2041 post., 2181 post., 2206 post. किं भोगैर्जीवितेन वा 5. 131. 360; 133. 34. 6. 23. 324. किं मद्रराजार्जुनवर्णनेन 8. 880*. 1. किं मन्यसे श्रेष्ठतमं द्विज त्वं 12. 288. 5. किं मया कृतमित्युक्त्वा 13. 70. 80. किं मया कृतमेतावत् 12. 295.23%. किं मया च करिष्यसि 3. 176.24. किं मया जीवितेनार्थः 7. 336*.4 pr. किं मया त्वं करिष्यसि 2. 45. 44f. किं मया न कृतं तत्र 1. 220.9. किं मया ब्रूत वक्तव्यं 13. App. 3A. 75 pr. किं मया मनसा ध्यातम् 5. 119.4". किं मयेतदनुष्ठितम् 13.91. 17. किं मातुरके शयितो यथा शिशुः 4. 13. 21. किं मात्यवाक्षीः परुषैः 5.74. 14". किं मादृशीं प्रार्थयसेऽद्य कीचक 4. 281*. 2. किं मामका भीष्मनेत्राः समीयुः 6. App. 5. 8. किं मामिदानीमतिवेलमात्थ 3. 35. 16". किं मारुतिर्वक्ष्यते वासुदेव 8. App. 31. 14A 4. किं मा वक्ष्यति वासुकिः 1. 43. 330. किं मां क्षत्रं वदिष्यति 5. 144. 100.6, 73. 27. किं मां तुदसि दुःखात 13. 30.8". किं मां त्वं परिपृच्छसि 4. 17. 1". 12. App.24.28 post. किं मां दृढं प्रार्थयसेऽद्य कीचक 4. 13. 21'. किं मां द्वेष्टीति चाब्रवीत् 1. App. 56. 2 post. किं मां न त्रातुमर्हसि 3.61. 19". किं मां न प्रतिजानीषे 4. 388*. 1 pr. किं मां न प्रतिभाषसे 1. 224. 23. 3. 60.8%; 61. 18', 21, 24"; 260*. 1 post. 11. 54*. 1 post. किं मां पश्यसि यादवि 2. App. 38. 14 post. किं मां पार्थ विगर्हसे 7. 168. 234. किं मां भीम न पश्यसि 4. 17. 296. किं मां वक्ष्यति माधवः 3. 19. 176. किं मां वक्ष्यति सारथे 3. 19. 200. किं मां वक्ष्यन्ति किं चापि 3. 238. 15. किं मां वक्ष्यन्ति संगताः 3. 19. 21. किं मां विलपतीमेकां 3. 61. 52". किं मां विलपतीमेवं 3. App. 10. 94 pr. App. 11.84 pr. किं मिथ्या ब्रूहि शोभने 5. 191. 16. किं मृषोक्तेन बहुना 7. 117. 16. किं मे क्रुद्धः करिष्यसि 12. 151. 11'. किं मे त्वत्तो भविष्यति 2. 42. 200. किं मे पित्रा कृतं तस्य 1. 37.4". किं मे भ्रातृविहीनस्य 18. 2. 12%. किं मे मृत्युः करिष्यति 12.219.214. किं मे राज्येन भोगैर्वा 15.6.4". किं यज्ञविधिरेवैषः 12. 189. 50. किं यज्ञेन किमात्मना 12.261. 284. किं यज्ञः किं सुखेन वा 15. 6.4. किं युद्धेनेति वै वृथा 4. 902*. 2 post. किं रणेन करिष्यसि 4. App. 52. 47 post. किं राजमिरिहानीतैः 2. 34. 11. किं राजवेश्मन्यसितायतेक्षणे 4. 267*. 11. किं राज्ञः सर्वकृत्यानां 13. 33. 14. किं राज्येनाप्रजस्य मे 2. 16.26. किंरूपधारी किंकर्मा 4. 47*. 39 pr. किं रूपं किं प्रमाण वा 14. App. 4. 595 pr. किंरूपः किंपरायणः 12. 121. 56. किंरूपो ब्राह्मणो मातः 1. 316*. 1 pr. किं रोदिषि त्वं पतिता धरण्यां 3. 253. 11. किं रोदिषि शकुन्तले I. App. 46. 37 post. किंलक्षणं च तत्प्रोक्तं 12. 124. 3. किंलक्षणोऽसौ भवति 14. App. 4. 2212 pr. किं व आसीन्मनस्तदा 7. 139.94. . किं वक्ष्यति महाबाहुः 3. 19. 18deg. किं वक्ष्यति शिनेर्नप्ता 3. 19. 196. किं वक्ष्यतीत्येव हि मेऽद्य चिन्ता 5. 33. 12". किं वक्ष्यथ धनेश्वरम् 3. 157. 54". किं वक्ष्यन्ति नराधिपान् 10. 9. 31'.

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