Book Title: Patrika Index of Mahabharata
Author(s): Parshuram Lakshman Vaidya
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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________________ कि स्वित्सत्यं किमनृतं] श्लोकपादस्पी [कीच घातयित्वा तु किं स्वित्सत्यं किमनृतं 12. 110. 3". किं स्विन्मित्रं गृहे सतः 3. 297. 44. किं स्वित्सर्वमिदं जगत् 3. 1382*. 2 post. किं स्विन्मित्रं मरिष्यतः 3.297. 44. किं स्वित्सुप्तं न निमिषति 3. 133. 25%; 297. 42". किं हविश्विररात्राय 13. 88. 1. किं स्वित्सौम्यप्रदर्शनः 1. 316*. 2 post. किं हि कृत्वा च्युता वयम् 12.220. 72. किं स्विदग्निनिभो भाति 1. 316*.2 pr. किं हि कृत्वा त्वमिन्द्रोऽद्य 12. 220. 72". किं स्विदस्य परायणम् 3. 297. 500. किं हितं सर्वलोकानां 2. 12.6%. किं स्विदात्मा मनुष्यस्य 3. 297. 50%. किं हि वित्तेन नः कार्य 1. 170. 17. किं स्विदादित्यमुन्नयति 3. 297.26%. किं हि शक्यं मया कर्तुं 2. 41. 14". किं स्विदापततां श्रेष्ठं 3. 297. 36". किं हिंससि सुतानिति 1. 92. 47'. किं स्विदापूर्यते व्योम 1. 125. 28. किं हीयते मनुष्यस्य 13. 119.5deg. किं स्विदावपनं महत् 3. 297. 46. किं झभ्याधिकमेतस्मात् 3. 232. 136. किं स्विदिच्छति कौन्तेयः 5. 55. 1. कीचक प्रावृषं विना 4. App. 22. 19 post. किं स्विदुच्चतरं च खात् 3. 297. 40. कीचकश्च सुकेशान्ते 4.14. 14. किं स्विदेकपदं धय 3. 297. 48". कीचकश्चाप्यलंकृत्य 4.21. 39". किं स्विदेकपदं ब्रह्मन् 12. 85.24. कीचकस्तामनिन्दिताम् 4. App. 19. 39 post. किं स्विदेकपदं यशः 3. 297. 48. कीचकस्तु गृहं गत्वा 4. 14.7*. किं स्विदेकपदं सुखम् 3. 297. 480. कीचकस्तु महाबलः 4. 263*.2 post. किं स्विदेकपदं स्वयं 3. 297. 48. कीचकस्त्वरितं पुनः 4. 289*. 12 post. किं स्विदेको विचरति 3. 297. 46". कीचकस्य च सज्ञातेः 5. 88. 24". किं स्विदेतद्भविष्यति 7. 54. 24. कीचकस्य तु घातेन 4. 24.1". किं स्विदेवेह धर्माणां 12. 109. 1%; 154. 3. 14. 48. 14. कीचकस्य दुरात्मनः 4. 15. 11'; 21. 3703; 315.2 post.3; किं स्विदेषां प्रतिक्रिया 13. App. 14. 93 post. 437*. 1 post.; App. 21. 6 post. किं स्विद्गुरुतरं भूमेः 3. 297. 40". कीचकस्य निवेशनम् 4. 14. 10, 17132984.2 post. किं स्विद्दत्तं पितृभ्यो वै 13. 88. 1". कीचकस्य निवेशनात् 4. App. 21. 3 post. किं स्विद्दानं महाफलम् 13. App. 9B. 12 post. कीचकस्य पराक्रमम् 4. App. 19.61 post. किं स्विोधनोऽब्रवीत् 7. 110.50. 8. 5. 874, 900, 91"; कीचकस्य प्रियं भवेत् 4. 460*. 4 post. 59*. 2 post. कीचकस्य बलीयसः 4. App. 28. 3 post. किं स्विदृष्टो मृगो भवेत् 3. 1370*. 4 post. कीचकस्य मया कृतः 4.21.25. किं स्विद्देयमनुत्तमम् 13. 61. 1. कीचकस्य वधं भीम 4. 428*. 1 pr. किं स्विदैवकृतः सखा 3. 297. 50. कीचकस्य वधं श्रुत्वा 4. 511*. 2 pr. किं स्विद्ध मैं सनातनम् 3. 1382*. 1 post. कीचकस्य वध सर्वाः 4. App. 18. 19 pr. किं स्विद्धयं सनातनम् 12. 110. 3. कीचकस्य वधारपुनः 4. 427*. 3 post. किं स्विद्धिमस्य भैषज्यं 3. 297. 46. कीचकस्य वधार्थाय 4. App. 18. 14 pr. किं स्विबहुगुणं प्रेत्य 3. 245. 26deg. कीचकस्य वधे तदा 4. 412*. 1 post. किं स्विद्वहुतरं नृणाम् 3. 297. 40% कीचकस्य विनाशस्य 4. 410*. 2 pr. किं स्विद्भुञ्जामहे वयम् 3. App. 25. 116 post. कीचकस्य वृकोदरात् 1. 2. 1311. किं स्विद्भूमिर्विदीर्यते 1. 125. 28. कीचकस्य व्यतिक्रमम् 4. 15. 26'. किं स्विद्वक्ष्ये धनंजयम् 7. App. 8. 920 post. कीचकस्य शिरोपरि 4. App. 25. 5 post. किं स्विद्वनमिदं द्रष्टुं 3. 1370*. 4 pr. कीचकस्य समागमे 4.21. 31. किं स्विद्वयमपेताथै 7. 49. 9". कीचकस्य सहोदराः 4. 453*. 1 post. किं स्विद्वेगेन वर्धते 3. 133. 250; 297. 424. कीचकस्यालयं देवि 4. 292*. 1 pr. . किं स्विनिपततां वरम् 3. 297. 36. कीचकं कृतकिल्बिषम् 4. App. 16. 47 post, किं स्विनिःश्रेयसं तात 13.60.3. कीचक पातयित्वा तु.4.21. 63". - 747

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