Book Title: Patrika Index of Mahabharata
Author(s): Parshuram Lakshman Vaidya
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 742
________________ कि कार्यमिति चाब्रुवत् ] महाभारतस्य [किं चन्दनेन पीयूष किं कृतं सलिले शर्व 10. 17.230. किं कृतं सुकृतं कर्म 12. 253. 12. किं कृतं सुकृतं भवेत् 1. App. 36. 6 post. 9. 41. 24. किं कृतं सूत कर्णेन 3. 46. 320. किं कृतार्थोऽवमन्यसे 12. 136. 86. किं कृत्वा चैव मुच्येत 12. 35. 1. किं कृत्वा धारयेयं वै 12. 165. 29. किं कृत्वा धृतराष्ट्रस्य 18. 2. 45". किं कृत्वा समवामयात् 12. 127.8. किं कृत्वा सुकृतं भवेत् 1. 1120*. 2 post. किं कृपायितमस्त्यत्र 3. 10. 15. किं क्षत्रियाणां देवत्वं 3. 297. 32. किं क्षमं किं परायणम् 12. 341.7. किं क्षेपैर्दुर्बलाश्वासैः 1. 126. 20deg. किं गतिं मध्यमां भवेत् 14. App. 4. 258 post. किं गर्जसि जरासंध 2. App. 5. 17 pr. किं कार्यमिति चाब्रुवन् 5. 188. 1". किं कार्यमिति चिन्तयन् 3. 1171*. 1 post. किं कार्यमिति ते राजन् 5. 9. 52". किं कार्यमिति धर्मिणः 5. 174.14. किं कार्यमिति पार्थिवम् 13. 31. 46'. किं कार्यमिति सत्कृतम् 13. 270*. 2 post. किं कार्यमिति सोऽब्रवीत् 3. 219.7. किं कार्य करवाणि वः 12. 102. 32. किं कार्य करवामहे 3. 137. 11. किं कार्य क्रियतामिति 1. 65.64. 5. 94. 19". किं कार्य तन्निशामय 2. App. 17.27 post. किं कार्य प्रत्यपद्यत 5. 150. 34. 7. 89. 274. 13. 98. 1. किं कार्य ब्राह्मणेनेह 12. 313. 13". किं कार्य भगवन्नद्य 3. App. 25. 96A 7 pr. किं कार्य भवतः कार्यम् 1. 70. 36deg. किं कार्य मयि भूतेश 1. 2004*. 2 pr. किं कार्य वः करोम्यद्य 6. 103. 56%. किं कार्य सर्वधर्माणां 12. 109.20. किं कार्य स्वागतं तेऽस्तु 3.71. 21". किं किरातोपलादिभिः 13. App. 20. 21 post. किं किं शोचामहे वयम् 1. 1493*. 2 post. किं कुर्म इति चाब्रुवन् 3. 13. 30. 13. App. TA. 10 post. किं कुर्म इति वादिनः 3. 226.74. किं कुर्म कामं कामाई 7. App. 8. 83 pr. किं कुर्मः पुरुषव्याघ्र 2. 22. 34'. किं कुर्मः शासनं तव 5..119.21. किं कुर्याद्विप्रिये कृते 14.96.5. किं कुर्या वै किं च कृत्वा न तप्ये 1. 84. 11'. किं कुर्वन्कर्म नृपतिः 13. 33. 1. किं कुर्वन्दुःखमानते 12. 213. 1". किं कुर्वनिर्भयो लोके 12. 213. 1. किं कुर्वन्सुखमाप्नुयात् 12. 171. 1. किं कुर्वन्सुखमामोति 12.213. 1 . किं कुर्वन्सुखमेधते 13. 151. 1'. किं कुर्वाणं न मां जयात् 12. 104.5. किं कुर्वाणं रणे द्रोणं 7. 8. 1". किं कुर्वाणो मया संख्ये 7. 118. 5. किं कुलेनोपदिष्टेन 3. App. 19.55 pr. किं कृतं कर्म धर्मेण 1. 101. 1". किं कृतं तस्य भूमिपैः 1. App. 104. 8 post. किं कृतं तासु तासु च 12. 295. 354. किंकृतं ते मरश्रेष्ठ 1. 109.24". किं कृतं न विनश्यति 12. 287.2. किं चकार महातेजाः 2.6*.2 pr. किं चकार महायशाः 14.58. 14. किं च कार्य करोमि ते 15. 45. 4. किं च कार्य चिकीर्षति 1. 38. 350%3 46. 15'. किं च कार्य चिकीर्षितम् 10. 5. 29". किं च कुर्वन्नरो लोके 12. 172. 1. किं च कृत्वा परं स्वर्ग 13. 80.8. किं च कृत्वा सुखी भवेत् 12. 113. 1. किं चक्रुस्तन ते वीराः 3. 800*. 1 pr. किं चक्रः पाण्डवास्तत्र 5.366*2pr. किं च तत्क्षरमित्युक्तं 12. 291. 1. किं च तत्र मया कार्य 3. 52.2. किं च तस्य फलं वद 12. 192,500. किं च तस्याध्वरैरपि 12.69.71. किं च ते करवाण्यहम् 1.590*. 2 post. किं च तेन कृतं तत्र 3. 39.3". किं च तेन मयोकेन 5. 151. 13. किं च ते ह चिकीर्षितम् 3. 135. 35. किं च त्वं क्षत्रियकुले 5. App. 9. 83. pr. किं च त्वं बहु मूढवत् 8.27. 20. किं च देयं प्रशस्यते 12.37. 2. किं च धैर्यमुदाहृतम् 3. App. 32. 17 post. किं च ध्यानमुदाहृतम् 3. App. 19. 14 post. किं च नः क्षममच्युत 5. 151.29. किं च नः पाण्डवैः कार्य 4.29. 18. किं चन्दनेन पीयूष- 13. App. 20. 268 pr. -734

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