Book Title: Patrika Index of Mahabharata
Author(s): Parshuram Lakshman Vaidya
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 743
________________ किंच पात्रमपात्रं वा] लोकपादसूची [किंचिरस्काटकसान किं च पात्रमपात्रं वा 12.37. 2. किं च भीरु चिकीर्षसि 1. 94. 43. किं च यज्ञस्य भेषजम् 13. App. 9B. 16 post. किं च यज्ञस्य यज्ञत्वं 13. 80.9%; App. 9B. 16 pr. किं च वामीप्सितं वीरौ 7. 57. 46'. किं च वेद्यमनुत्तमम् 12.306.26. किं च शेषे जलाशये 9. 30. 32. किं च श्रेष्ठतमं शौचं 13.23.249. किं च सत्रमतः परम् 13. 80. 10'. किं च सर्वे नृपतयः 5. 145.9. किं च साधुत्वमुच्यते 12. 288. 43. किं च स्वपिति भोगवान् 12. 335. 61". किं च हव्यं च कव्यं च 12. App. 29D.8 pr. किं चाकार्षीन्महाद्युतिः 12. 278. 21. किं चागमनकृत्यं ते 5. 38*.2 pr. किं चात्र बहुनोक्केन 14. App. 4. 142 pr. किं चात्र बहुभिः सूक्तैः 13. App. 5. 31 pr. किं चाधिकृत्याथ तयोविवादः 3. 650*. 1. किं चाधीत द्विजोत्तम 9. 37.2. किं चान्यच्छृणु मे नाथ 1. 1616*. 1 pr. किं चान्यत्करवाणि ते 2. 23. 264. किं चान्यदपि मे शृणु 5. App. 2. 47 post. किं चान्यन्मयि दुर्वृत्तं 5. 48. 30%. किं चापि न कृतं मया 7. App. 7. 10 post. किं चापि शिल्लं तव विद्यते कृतम् 4. 6. 903; 9.7". किं चाप्यनेन तत्कर्म 5. 48. 36*. किं चार्जवमुदाहृतम् 3. App. 19. 10 post.; App. 32. 6 post. किं चास्य कारणं प्रोक्तं 13. App. 19.25 pr. किं चास्य सुकृतेऽस्माभिः 3. 156. 13deg. किं चाहमभिधास्यामि 12. 52.3*. किं चिकीर्षत्ययं कर्म 1. 150. 36. किंचिञ्चन्द्रविशुद्धात्मा 12. 326.20. किंचिच्चन्द्राद्विशेषवान् 12. 326. 2". किंचिञ्च विदुरेणोक्तः 1. 135. 6. किंचिच्चाभुग्नशीर्षेण 3. 146. 67*. किंचिच्छिष्टेषु भारत 8. 42. 34. किंचिच्छिष्टे सुयोधनः 1. 157*.2 post. किंचिच्छेषं च शिबिरं 9. 1. 32. किंचिच्छेषं स्वकं बलम् 8. 4. 1076. किंचिच्छेषाम्परान्कृत्वा 8.7*.29 pr. किंचिच्छेषा महाराज 9. 25. 37deg. किंचिच्छेषा यदा रात्रिः 4. App. 24. 2A 1 pr. किंचिच्छेषा विशां पते 8.51. 30. किंचिच्छेषे च भारत 6.88. 22. किंचिच्छेषे दिनकरे 6. 114.81'. किंचिच्छेषो हि लक्ष्यते 9. 34. 64. किंचिच्छासस्तु सौभद्रः 7. 340*. 4 pr. किंचिन्जिी वदिष्यतः 1. 197. ". किंचित्करं समादाय 2. 287*. 1 pr. किंचित्कर्तुं वचो हि वः 1. 385*. 3 post, . किंचित्कारणमुद्दिश्य 1. 30.8* किंचित्कारयितुं त्वया 2. 1. 6. किंचित्कार्य कदाचन 5. 34. 439; 189*. 1 post, किंचित्कालमरिंदम 3. 185. 20. किंचित्कालं वायुभक्षः 1. App. 79. 158 pr. किंचित्कालान्तरं दास्ये 5. 193.2. किंचित्कालान्तरं शुभा 5. 12.25. किंचित्कालान्तरं बीत्वं . 193. 50. किंचिस्किचित्प्रतिवदन् 5. 134. 13. किंचित्किंचित्समारुह 12. 309. 14. किंचित्कुर्यादसांप्रतम् 12. 259. 28. किंचित्कृत्यं चिकीर्षति 3. 153. 10. किंचित्कृत्यं भविष्यति 12. 136. 92f. किंचित्कृत्वेव पातकम् 8. 50. 1 . किंचित्कोपसमन्वितः 3. 69. 13. किंचित्तत्त्वं प्राणहेतो तोऽस्मि 13. 18. 55. किंचित्तत्र व्यदृश्यत 12. 52. 24. किंचित्तत्रापतद्धधि 13. 83. 52". किंचित्तस्य भविष्यति 14.55. 34. किंचित्त्वत्तः सुरेश्वर 5. 13.4. किंचित्पापिष्ठमुच्यते 5. 113.. किंचित्पुष्करमी क्षितुम् 3. 761*. 2 post. किंचित्प्रक्रियमाणं वा 11. 3. 9. किंचित्प्रपां पदे मात्रं 9. 247*. 2. किंचित्प्रस्फुरिताधरः .. 127.8. किंचित्प्राणं नराधिपम् 10. 9. 2. किंचित्प्राणैश्च पुरुषैः 10. 8. 1136. किंचित्प्राणो नराधिप 8. 55. 65*. किंचित्पाप फलं नृपः 5. 130. 20. किंचित्पामोति शोभनम् 3. 206. 234. किं चित्ररूपं बत जीवलोके 8. 951*. 6. किंचित्सत्त्वं नराधिप 11. 3. 154. किंचित्स्थावरजङ्गमम् 1. 201.23. किंचित्स्निग्धं यथा च स्यात् 12. 188. 18deg. किंचित्स्फटिकसप्रभः 12. 326. 3. -735

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