________________ कथं वीरेण पातितः] श्लोकपादसूची [कथं समभवद्रोणः कथं वीरेण पातितः 16. 4. 200. कथं वीरैर्जितां भूमि 5. 333*. 2 pr. कथंवीर्यः समभवत् 14.5. 1. कथंवीर्यः स राजाभूत् 3. 127. 1". कथंवृत्तेषु दैत्येषु 12. 221. 276. कथं वृत्रस्त्रिदिवं प्राग्जहार 14. 9. 286. कथं वृथा न मृत्युः स्यात् 12. 139. 34deg. कथं वृद्धिं पुनर्गतम् 12. 48. 12. कथं वृद्धेषु तिष्ठत्सु 7. 1379*. 1 pr. कथं वेश्मसु गुप्तेषु 3. 144. 10%. कथं वैकर्तनः कर्णः 8. 22. 15. कथं वैकारिको गच्छेत् 12. 336. 74. कथं वै ज्ञातयो ब्रह्मन् 3. 104. 3". कथं वै त्वमिहागतः 13. 106.74. कथं वै नानुपश्येयुः 12. 10. 16. कथं वै नार्हतः सवम् 3. 124. 11. कथं वै नाश्वसनराजा 12. 137.2. कथं वै पक्षिराट् सुतः 1. 27.2. कथं वै पातितो भुवि 13. 103. 1. कथं वै मद्विधो राजा 2. 67. 176. कथं वै लोकयात्रां तु 13. 13. 1. कथं वैवस्वतेऽन्तरे 12. App. 28. 1 post. कथं वै विषये तस्य 3. 110. 9. कथं वै सफलं धनम् 2. 5. 100. कथं वै सफलं श्रुतम् 2. 5. 100%. कथं वै सफला दाराः 2. 5. 100%. कथं वै सफला वेदाः 2. 5. 100%. कथं वै संभवेत्प्रजा 1. 111. 174. कथं वो न भवेदिति 1. 55. 234. कथं वो ब्राह्मणो हतः 3. 182. 11'. कथं व्यतिक्रमन्यूते 1. 56.8. कथं व्यवसितं यतः 2. 449*. 2 post. कथं व्यासस्य धर्मात्मा 12. 310. 1". कथं शक्नोषि तं ऋतुम् 2. 161*. 4 post. कथं शक्यामहे ब्रह्मन् 12. 202. 11'. कथं शक्याः स्म रक्षितुम् 13. 39. 3. कथं शक्येत स द्रष्टुं 7. 412*. 3 pr. कथं शक्यो मया कर्णः 8. 46. 18. कथं शक्यो रणे जेतुं 9. 62. 19. कथं शक्रेह कर्मणा 5. 9. 30deg. कथं शक्ष्यन्ति मे सुताः 5. 50. 24, 28. कथं शक्ष्यसि राजेन्द्र 10. App. 1. 12 pr. कथं शक्ष्यामि जीवितुम् 12. 147. 4. कथं शक्ष्यामि बालेऽस्मिन् 1. 146. 150. कथं शक्ष्यामि रक्षितुम् 1. 146. 11'. कथं शक्ष्ये द्विजोत्तम 1. 57. 62deg. कथं शत्रुवशं गतम् 7. App. 13. 13 post. कथं शत्रु शरीरस्थं 14. 11. 5. कथं शप्तोऽसि भगवन् 3. 158. 490. कथं शरीरं च्यवते 14.17.20. कथं शर्म भवेत्परैः 5.77. 174. कथं शंससि मे हतम् 6. 15. 40". कथं शाम्येद्वृकोदरः 5. 50. 184. कथं शांतनवं तात 6. 15.63. कथं शांतनवं दृष्ट्वा 6. 15. 16. कथं शांतनवं युद्धे 6. 15.8. कथं शांतनवो भीष्मः 6. 105. 3deg3; 111. 1". कथं शिखण्डी गाङ्गेय 5. 189. 1". कथं शिखण्डी गाङ्गेयं 6. 104. 10; 105. 1". कथं शुक्रस्य नप्तारं 1. 80. 13". कथं शुभाशुभे चायं 14. 17. 4". , कथं शून्यमिमं देशं 3. 166*. 6 pr. कथं शोकपरायणान् 14. 3. 14. कथं शौचविधिस्तत्र 13. App. 15. 2954 pr. कथं सक्तून्ग्रहीष्यामि 14. 93. 470. कथं सङ्गः पुनर्नृप 12. 308. 164. कथं स चाभवब्रह्मन् 12. App. 28. 2A 1 pr. कथं स जितवान्पार्थः 2. 281. 3 pr. कथं सज्जेत भोगेषु 5. 9. 86. कथं सत्यपराक्रमौ 1. 197.81. कथं सदस्यैर्वचनं विस्तरेयुः 3. 659*.8 कथं सदोपवासी स्यात् 12. 214. 80. 13. 93. 9". कथं सद्धर्मचारित्र- 2.70. 136. कथं स न भवेन्महान् 13. App. 15. 4697 post. कथं स न विजेष्यति 4. 63. 374. कथं स निधनं गतः 6. 15. 180. कथं स निहतः परैः 6. 15. 3rd. कथं स निहतो युधि 6. 15.544. कथं स पुरुषव्याघ्रः. 3. 39.2". कथं स पुरुषः पार्थ 6.24.21". कथं स प्रतियोद्धव्यः 12. 96.6. कथं स ब्राह्मणोऽभवत् 13. 3. 17. कथं स भगवान्देवः 12. 327. 1". कथं समभवद्दयुतं 2. 46. 1 . . कथं समभवद्रोणः 1. 1331*. 1 pr. पादसूची-79 - 625