Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 02 Author(s): Osho Publisher: Unknown View full book textPage 5
________________ बड़ा और ज्यादा विशाल और ज्यादा शक्तिशाली है। यदि तुम इसे तौलो अतिचेतन के साथ, तो तुलना संभव नहीं। अतिचेतन अपरिसीम है, परमचेतना होती है सर्वशक्तिमय, सर्वव्यापी, सर्वज्ञ। परमचेतना वह है जो परमात्मा है अचेतन की तुलना में चेतन मन बहुत छोटा है। यह थक जाता है, इसे चाहिए आराम पुनः आविष्ट होने के लिए। निद्रा में चेतन मन डूब जाता है और सपने की एक जोरदार क्रिया आरंभ हो जाती है। क्यों होती रही है यह उपेक्षित? क्योंकि मन प्रशिक्षित होता रहा है चेतन से तादात्म्य बनाते रहने के लिए ही, अत: तुम सोचते हो कि तुम सोते समय नहीं हो जाते हो। इसीलिए निद्रा जान पड़ती है एक छोटी-मोटी मृत्यु की भांति ही तुम बिलकुल सोचते ही नहीं कभी इस बारे में कि क्या हो रहा है। पतंजलि कहते हैं, 'इस पर ध्यान करो और बहुत सारी चीजें अनावृत हो जाएंगी तुम्हारे अस्तित्व के भीतर । 1 थोड़ा समय लगेगा निद्रा में जागरूकता सहित उतरने के लिये क्योंकि तुम तो तब भी जागरूक नहीं होते जबकि जागे हुए होते हो वास्तव में, तुम्हारे जागरण में भी तुम यूं चलते-फिरते हो जैसे कि तुम गहरे रूप से सोये हुए हो; नींद में चलने वाले हो, निद्राचारी हो । वास्तव में तुम कुछ बहुत जागे हु नहीं हो। मात्र इसलिए कि आंखें खुली हुई हैं तो ऐसा मत सोच लेना कि तुम जागे हु हो । जागने का तो मतलब होता है कि जो कुछ तुम कर रहे हो और जो कुछ क्षण प्रतिक्षण घट रहा है तुम उसे पूरे होश सहित कर रहे हो। यदि मैं अपना हाथ भी उठाता हूं तुम्हारी ओर संकेत करने को, तो मैं उसे गति दे रहा होता हूं पूरे होश के साथ ऐसा किया जा सकता है यांत्रिक पुतले की भांति, मशीनी ढंग से। तुम्हें होश नहीं होता कि हाथ को क्या घट रहा है। वस्तुतः तुमने इसे बिलकुल ही नहीं हिलाया–डुलाया होता। यह अपने से हिला-डुला है, यह अचेतन है। इसीलिए अपनी नींद को बे कर उसे जानना बहु कठिन है। - लेकिन यदि कोई प्रयत्न करता है तो पहला प्रयास यह होता है कि जब तुम जागे हुए होते हो तो अधिक जागना। वहां से आरंभ करना होता है प्रयास का । सड़क पर चलते हुए होशपूर्वक चलना, जैसे कि तुम कोई बहुत महत्वपूर्ण बात कर रहे हो, बहुत अर्थपूर्ण बात। हर कदम पूरी जागरूकता सहित उठाना चाहिए। यदि तुम ऐसा कर सकते हो, केवल तभी तुम प्रवेश कर सकते हो निद्रा में बिलकुल अभी तो तुम्हारे पास बड़ी धुंधली, बड़ी मद्धिम जागरूकता है। जिस क्षण तुम्हारा चेतन मन सो जाता है, वह धुंधली जागरुकता छोटी-सी तरंग की भांति तिरोहित हो जाती है। उसके पास कोई ऊर्जा नहीं रहती; यह बहुत धुंधली होती है, मात्र एक टिमटिमाहट, एक जीरो वोल्टेज घटना की भांति ही । तुम्हें ले आनी होती है इसमें अधिक ऊर्जा, इतनी अधिक ऊर्जा कि जब चेतन मन बुझ जाता हो तो जागरुकता अपने से ही जारी रहे- तुम सोओ जागरूकता सहित ऐसा घट सकता है यदि तुम होशपूर्वक करते हो दूसरे कार्य. तुम्हारा चलना, भोजन करना, सोना, नहाना सारे दिन जो कुछ भी तुम कर रहे होते हो वहPage Navigation
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