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परमात्मा बनने की कला
दुष्कृत गर्दा
बिगड़ पड़ते हैं। उसने तो भूल से एक दाल ही बिगाड़ी है, किन्तु हमने तो जानकर अनन्त पाप करके अपने अनन्त भव बिगाड़ दिये, उसका क्या होगा?
भूतकाल के सभी पाप-कर्मों के माध्यम से संस्कारों से वासित हो गए। इस भव में जीव को करोड़ों भवों में इकट्ठा किए हुए पाप-कर्मों को कम करने चाहिए थे, परन्तु नवीन पाप करके इस जीव ने उन पाप-कर्मों को और बढ़ाने का कार्य किया। हिंसा, झूठ, चोरी में विमूढ़ बन गया। परार्थ सेवा को भूलकर स्वार्थांध बन गया।
जीवन का हिसाब दो भागों में कर सकते हैं- पहला जमा-खाता, दूसरा उधार-खाता। जो कुछ भोग में आनन्द किया, वह उधार खाता; खाना-पीना, मौज-मजा करना, ये सभी। अब दूसरा जमा खाता, साधर्मिक भक्ति, तपश्चर्या, धर्माराधना आदि किन भावों से किए? उनका विचार तो करें। क्या हमें परलोक में जाना है या नहीं? जाना ही पड़ेगा। आयुष्य पूरा होने में जितनी देर है। एक अंगूठे से पूरे मेरू पर्वत को हिला देने वाले अचिन्त्य शक्ति के स्वामी तीर्थंकर परमात्मा ने भी इन्द्र को यही कहा- आयुष्य का एक भी क्षण न तो बढ़ा सकते हैं, न ही घटा सकते हैं। जो समय चला गया, उसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
आज वर्तमान में जीव जो दुःख भोग रहा है, वह दुःख भूतकाल के दुष्कृत्य का ही फल है। इन से छुटकारा पाने हेतु हमें बारम्बार दुष्कृत्यों की गर्दा करनी होगी। मैं क्रोधी, मानी, लोभी रति-अरति करने वाला हूँ। मैं माया-मृषावादी हूँ। मेरे जैसा पापी अधम आत्मा
और इस संसार में कोई नहीं है। .. दुनिया में अनेक पापकर्म करने वालों को देव-गुरु का संयोग नहीं मिला तो वे कदाचित् क्षम्य हैं। परन्तु हमें तो उत्तमोत्तम वस्तु मिलने के पश्चात् भी इन अठारह पाप स्थानों का हम सेवन कर रहे हैं। उनको छोड़ने का अभी तक प्रयास भी नहीं किया, जबकि हम तो जिनशासन के सैनिक हैं। हम पर देव-गुरुजनों की अनन्त कृपा है। संस्कारी माता-पिता युक्त परिवार मिला है। इतना सब कुछ प्राप्त होने के पश्चात् जिनशासन की डोर संभालने की जवाबदारी और अधिक बढ़ जाती है, फिर भी इन सभी कर्तव्यों को भूल कर हम पापों में डूब रहे हैं। प्रभुसे प्रार्थना
. परमात्मा से नित्य प्रार्थना करें। आप गुणी, मैं कैसा अवगुणी हूँ! आप कितने पुण्यशाली, मैं कैसा पापी! आप शिखर पर विराजमान हैं, मैं गहरी खाई में गिरा पड़ा हूँ। यदि प्रभु आपकी कृपा दृष्टि नहीं बनी तो मैं कभी भी निगोद रूपी खाई में जा सकता हूँ।
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