Book Title: Panna Sammikkhaye Dhammam Part 01
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 414
________________ देश की विकट समस्या : भूख जब हम अपने जीवन के सम्पूर्ण पक्षों-प्रतीत, वर्तमान और भविष्य पर विचार करने लगते हैं, तो हमारे सामने एक अजीब- सादृश्य उभर प्राता है । हमारा प्रतीत जितना उज्ज्वल रहा है, वर्तमान उतना ही असंतोषजनक और धूमिल । और भविष्य ? भविष्य के आगे, तो एक प्रकार से सवन अंधकार-ही-अंधकार का साम्राज्य दिखाई पड़ने लगता है । एक विचारक ने सत्य ही कहा है- "Past is always Glorious Present is always Insatisfactory And Future is always in Dark". "उज्ज्वल सुख कर पूत- पुरातन, वर्तमान पीड़ाच्छन्न, तमसावर्तन ।" श्रौर, हमारा स्वर्णिम अतीत : हम जैसे - जैसे अपने अतीत के पृष्ठों का अवलोकन करते हैं, एक सुखद गौरव-गरिमा से हमारा अन्तस्तल खिल उठता है। हमारा वह परिमित ऐश्वर्य, वह विपुल वैभव, दूधसी स्वच्छ लहराती नदियाँ, सुदूर क्षितिज तक फैला दिन-रात गर्जता सागर, आकाश को छूती मीलों लम्बी पर्वत शृंखलाएँ, जहाँ कहीं-न-कहीं प्रति दिन छहों ऋतुएँ अटखेलियाँ करती हैं । हमारा वह सादा सुखमय जीवन, किन्तु उच्च विचार, जिसके बीच से 'ओम्', 'अम्' का प्रणवनाद गुंजा करता था, हमारा वह देवों से भी उत्तम जीवन, जिसकी देवता भी स्पृहा करते थे । बिष्णु पुराण में यही ध्वनेि मुखरित हुई है Jain Education International कसमस भविष्यत् " गायन्ति देवा किल गीतकानि, धन्यास्तु ते स्वर्गापवर्गास्पद-मार्ग भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात् ।। " २।३।४. भारत-भूमिभागे । भूते, यह गौरवमय दिव्यनाद जब भी हमारे श्रुतिपथ में झंकृत होता है, हमें क्षण भर को न जाने किस अज्ञात सुखद लोक में उड़ा ले जाता है। हम हंस-के-से स्वप्निल पंखों पर उड़कर स्वगिक सुख का उपभोग करने लगते हैं । सचमुच हमारा प्रतीत कितना सुहाना था, कितना श्रेयष्कर ! हम आज भी उसको यादकर गौरव से फूले नहीं समाते ! इतिहास कहता है, सबसे पहले हमारे यहाँ ही मानव-सभ्यता का अरुणिम प्रकाश प्राची में फूटा था- देश की विकट समस्या : भूख - " ऊषा ने हँस अभिनन्दन किया, और पहनाया हीरक हार For Private & Personal Use Only ע! ३६५ www.jainelibrary.org.

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