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अपना और पराया क्या है ?
अपने ही हैं सब कोई
जन ।
अस्तु सभी के हित में तत्पर, रखो सर्वदा अपने
तन-मन ॥
भू-मण्डल पर मनुज-जाति का,
एक बृहत् परिवार बसा है। धन्य वही नर जो सबसे मिल, कमल-पुष्प - सा सदा हंसा है ॥
-- उपाध्याय श्रमरमुनि
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पन्ना समिक्लए धम्मं
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