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राष्ट्र जागरण की गरिमा का,
जब तक सच्चा भाव न जागे । तब तक देश निवासी जन-जन, रहते संकट-प्रस्त
अभागे ॥
दु:ख-मुक्ति के सुख-संपद के, उन्नति के पथ कब प्रशस्त हों ? जब दायित्वों के पालन-हित, जागृत सब जन राष्ट्र-भक्त हों ॥। -- उपाध्याय श्रमरमुनि
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