Book Title: Paniniya Vyakarana Tantra Artha aur Sambhashana Sandarbha
Author(s): Vasantkumar Bhatt
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 6
________________ पाणीनीय व्याकरण तन्त्र, अर्थ और सम्भाषण सन्दर्भ ग्रन्थ प्रकाशित करते हुए हम अत्यन्त हर्ष की अनुभूति कर रहे हैं । संस्थान के संस्थापक एवं दीर्घद्रष्टा श्रेष्ठीवर्य श्री कस्तुरभाई लालभाई की पुण्यस्मृति में हमारे संस्थान द्वारा प्रत्येक वर्ष व्याख्यान शृंखला का आयोजन किया जाता । इस शृंखला में विभिन्न विषयों के विद्वान् व्याख्यान हेतु आमन्त्रित किए जाते हैं । इस वर्ष व्याकरणशास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान् प्रो. वसन्तकुमार भट्टने हमारे आमन्त्रण को स्वीकार करके पाणिनीय व्याकरण के आधार पर तीन विद्वद्भोग्य व्याख्यान दिए । वर्तमान युग में प्राचीन शास्त्रों का अध्ययन क्षीण हो रहा है। उतना ही नहीं व्याकरणशास्त्र का अध्ययन तो अत्यंत क्षीण हो चूका है । ऐसी स्थिति में भारतीय शास्त्रों की परंपरा को जीवंत रखने हेतु संस्थान द्वारा यत्किचित् प्रयास किया जा रहा हैं, इसी शृंखलामें प्रस्तुत प्रवचन श्रेणी भी एक है । ऐसे प्रवचनों के द्वारा जिज्ञासुओं की शास्त्रों के प्रति अभिरुचि में वृद्धि होती हैं वहीं अध्ययन-अध्यापन की धारा भी पुनः जीवीत हो सकती है। इस व्याख्यानमाला का आयोजन भी इसी भावना का साकार रूप है। प्रो. वसन्तकुमार भट्टने व्याकरण जैसे शुष्क शास्त्र को प्रवचन का विषय बनाकर अपने चिंतन को मूर्त स्वरूप प्रदान किया है उसके लिए हम उनके आभारी है । हमें पूर्ण श्रद्धा है कि प्रस्तुत व्याख्यानों से व्याकरणशास्त्र के जिज्ञासुओं को लाभ होगा । इस ग्रन्थ के प्रकाशन कार्य को संपन्न कराने में सहयोगी सभी का आभार ज्ञापित करते हैं । ता. ३१.५.२००३ Jain Education International प्रकाशकीय - For Private & Personal Use Only जितेन्द्र शाह www.jainelibrary.org

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