Book Title: Padartha Vigyana
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Jinendravarni Granthamala Panipat

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ xiil ६.जीवका स्वरूप ६९, ७.जीवका आकार ७१, ८ जीवका अमूर्तत्व ७३, ९.जीवके प्रदेश ७४, १० जीवका परिमाण ७६, ११ जीवकी संकोच-विस्तार शक्ति ७६; १२ शरीरपरिमाण जीवकी सिद्धि ७८; १३ जीवकी एकता तथा अनेकताका समन्वय ८१, १४ जीवोकी गणना ८३, १५ पुनर्जन्म तथा उसकी सिद्धि ८३, १६.ससार तथा मोक्ष ८८। ५ जीव-पदार्थ विशेष १ जीव तथा चेतनमे अन्तर ९०, २ अन्त करण तथा इन्द्रियोका सक्षिप्त स्वरूप ९२, ३ संसारी तथा मुक्तकी अपेक्षा जीवोके भेद ९४, ४.इन्द्रियोकी अपेक्षा जीवके भेद ९५, ५ मनकी अपेक्षा जीवके भेद ९७, ६ त्रस-स्थावरकी अपेक्षा जीवके भेद ९९, ७त्रस-स्थावर जीवोमे जीवत्वसिद्धि १००, ८ गतियोकी अपेक्षा जीवके भेद १०४, ९ नरक तथा स्वर्गकी सिद्धि १०९, १० कायकी अपेक्षा जीवके भेद ११५, ११ सचार तथा निवासकी अपेक्षा जीव के भेद ११७, १२.सूक्ष्म जन्तु विज्ञान ११८; १३.चौरासी लाख योनि १२३, १४ जीवोका उत्पत्ति-क्रम १२५, १५.अण्डेमे जीव १२९, १६ सूक्ष्म जीवोकी उत्पत्ति १३१, १७ जीवोका स्वभाव-चतुष्टय१३२, १८ जीव पदार्थ का सक्षिप्त सार १३४ । ६ जीवके धर्म तथा गुण १३८ १ जीव, अन्तःकरण तथा शरीरका पार्थक्य १३८, २ जीवसामान्यके धर्म तथा गुण १४०, ३ ज्ञान १४०, ४ दर्शन १४२, ५ सुख १४३, ६.वीर्य १४४, ७.अनुभव १४५,

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 277