Book Title: Nyayaratna Sar
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

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Page 4
________________ प्राक्कथन भारतीय दर्शन में न्याय विद्या दर्शन शब्द दृश् धातु से बना है, जिसका अर्थ धर्मशास्त्र से आचार का विशेष सम्बन्ध रहा है। हे-देखना । केबल ने देखना ही नहीं मात्रा में इनका विशेष उपयोग रहा है । भारतीय होता, तत्त्व के साक्षात्कार को भी विद्वानों ने दर्शन में विज्ञान, धर्म और तक भादि का समन्वय दर्शन कहा है । यह तथ्य 'आत्म-दर्शन' आदि शब्दों रहा है। पदार्थ विज्ञान तथा शरीरशास्त्र भी के प्रयोग से स्पष्ट है । दर्शन शब्द का व्यापक दर्शन का अंगभूत रहा है। तर्क युग में आकर अर्थ है-जिसमें जीवन, जगत् और जगदीश का व्याकरण और साहित्य ने भी दर्शन का रूप ग्रहण विवेचन किया जाता है। प्राचीन काल में 'तत्त्व- कर लिया। फिलोसफी शब्द इतना व्यापक एवं विवेचन' के लिए मीमांसा घाब्द का प्रयोग किया गम्भीर नहीं है, जितना कि दर्शन । दर्शन समस्त जाता था। संरकृत कोष में पूजित विचार को मानव जाति की सामान्य सम्पत्ति है। किसी एक मीमांसा कहा गया है। आतार्य हेमचन्द्र सूरि देश अथवा एक जाति की सम्पत्ति नहीं है। ने अपनी प्रमाण-मीमांसा में, पुजित अर्थ में ही लेकिन यह सत्य है, कि मानव की विभिन्न देशप्रयोग किया है। आगे चलकर आत्म-विद्या गत, समाजगत, मानसिक तथा राजनैतिक परिऔर आत्म-विज्ञान जैसे शब्दों का प्रयोग होने स्थितियों के कारण विभिन्न देशों में, दर्शनशास्त्र लगा। का आकार-प्रकार और स्वरूप भिन्न-भिन्न प्रकार वर्शन का अन्य शास्त्रों से सम्बन्ध से विकसित होता रहा है। अतः भारतीय दर्शन, दर्शन जीवन की व्याख्या है। दर्शनशास्त्र यूनानी दर्शन एवं यूरोपीय दर्शन जैसे नाम का जीवन के सभी पक्षों से सम्बन्ध है । जीवन असाल प्रचलित हो गए हैं। सम्बन्धी किसी ज्ञान-विज्ञान को दर्शन से पथक नहीं दर्शन और तर्क : किया जा सकता । इतिहास, समाज, राजनीति, दर्शन और तर्क दोनों भिन्न हैं, लेकिन आज धर्म, संस्कृति और विज्ञान आदि से दर्शन का दोनों पर्यायवाचक जैसे प्रतीत होते हैं। दर्शन सम्बन्ध दिखाया जाता है। मनोविज्ञान और धर्म का स्थान तक ग्रहण करता जा रहा है । दर्शन शास्त्र से दर्शन का विशेष घनिष्ठ सम्बन्ध बताया परम सत्य अथवा परम तत्व को देखने एवं प्राप्त जाता है । क्योंकि मनोविज्ञान से योग का और करने का उपाय, मार्ग अथवा दृष्टिकोण है । विशुद्ध

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