Book Title: Nirayavalikasutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 338
________________ ३४२ निरयावलिकाम छाया-यदि खलु भदन्त ! उत्क्षेपकः, उपागानां चतुर्थस्य पुष्पचूलानामयमर्थः प्रज्ञप्तः, पञ्चमस्य ग्वल भदन्त ! वर्गस्य उपाङ्गानां वृष्णिदगानां श्रमणेन भगवता यावत्संप्राप्तेन कोऽर्थः प्रज्ञप्तः ? एवं खलु जम्बूः ! श्रमणेन भगबता महावीरेण यावद् द्वादशाध्ययनानि प्रज्ञप्तानि, तद् यथा निपधः १, मायनी २ वहः ३ वहः ४ पगता, ५ ज्योतिः ६ दशरथः ७ दृढरथश्च ८ महाधन्वा, ९ सप्तधन्वा, १० दशधन्वा, ११ नाम शतधन्वाच १२ ॥ १ ॥ ___यदि खलु भदन्त । श्रमणेन यावद द्वादशाध्ययनानि प्रज्ञप्तानि, प्रथ. मस्य खलु भदन्त ! श्रमणेन यावद् द्वादशाध्ययनानि प्रज्ञप्तानि, प्रथमस्य खलु । वृष्णिदशा वर्ग। 'जईणं भंते ' इत्यादि जम्बू स्वामी पूछते हैं-हे भदन्त ! पुष्षचूला नामके चतुर्थ उपाङ्गमें भगवानने पूर्वोक्त प्रकारसे दस अध्ययनोंका निरूपण किया तो हे भदन्त ! उसके बाद वृष्णिदगा नामक पाचवें उपाङ्गमें मोक्ष प्राप्त भ्रमण भगवान महावीरने किन अर्थोका निरूपण किया है ? सुधर्मा स्वामी कहते हैं हे जम्बू ! श्रमण भगवान महावीरने वृष्णिदशा नामक पाचवें वर्गमें बारह अध्ययनोंका निरूपण किया है। उनके नाम (१) निषध, (२) मायनी, (३) वह, (४) वह, (५) पमता, (६) ज्योति, (७) दशरथ, (८) दृढरथ, (९) महाधन्वा, (१०) सप्तधन्वा, (११) दधन्वा और (१२) शतधन्वा हैं। વૃદિશા વર્ગ (૫)પાંચમે 'जडणं भंते 'त्यादि જખ્ખ સ્વામી પૂછે છે - હે ભદન્ત | પુષચૂલા નામના ચેથા ઉપાગમાં ભગવાને પૂર્વક પ્રકારથી દશ અધ્યયનાનું નિરૂપણ કર્યું છે તે હે ભદન્ત ! ત્યાર પછી વૃદિશા નામના પાચમા ઉપાગમાં મોક્ષ પ્રાપ્ત શ્રમણ ભગવાન મહાવીરે કયા અથનું નિરૂપણ કર્યું છે સુધર્મા સ્વામી કહે છે.–હે જમ્મુ 1 શ્રમણ ભગવાન મહાવીરે વૃષ્ણુિદશા નામના પાચમા વર્ગમાં બાર અધ્યયનનું નિરૂપણ કર્યું છે. तभना नाम-(१) निषध, (२) भायनी, (3) पहु, (४) १९, (५) पाता (6) न्याति, (७) ६शरथ, (८) १८२२ (6) माधवा, (१०) सप्तधन्वा. (११) शधन्दा भने (१२) शतधन्वा छे.

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