Book Title: Nirayavalikasutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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निरयावलिकासूत्रे वृष्णिदशा ५ मूलम्-जइणं भंते ! उक्खेवओ० उवंगाणं चउत्थस्स पुप्फचुलाणं अयमट्टे पण्णते, पंचमस्स णं भंते ! वग्गस्स उवंगाणं वह्निदसाणं भगवया जाव संपत्तेणं के अहे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव दुवालस अज्झयणा पण्णता, तं जहा
“निसढे १ मायनि २ वह ३ वहे ४, पगता ५ जुत्ती ६ दसरहे ७ दढरहे ८ य । महाधणू ९ सत्तधणू १०, दसधणू ११ नामे सयधणु १२ य ॥१॥
जइणं भंते! समणेणं जाव दुवालस्स अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते ! उवक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं २ वारवई नामं नयरी होत्था दुवालसजोयणायामा जाव पञ्चक्खं देवलोयमूया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा । तीसे णं वारवईए नयरीए पहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभाए, एत्थ णं रेवए नामं पवए होत्था, तुंगे गगणतलमणुविहंतसिहरे नाणाविहरूकखगुच्छगुल्मलतावल्लीपरिगताभिरामे हंस-मिय-मयूर-कोंच-सारस-चकवाग-भयणसाला-कोइलकुलोववेए अणेग-तडकडगवियरओझरपवायपुत्भारसिहरपउरे'अच्छरगणदेवसंगचारणविजाहरमिहणसंनिविन्ने निच्चच्छणए दसारवावीरपुरिसतेलोकत्रलयगाणं सोमे सुभए पियदंसणे सुरूवे पासाईए जाव पडिरूवे । तत्थ णं रेवयगस्स पवयस्स अदूरसामंते एत्थ णं नंदुणवणे. नाम उज्जाणे होत्था, सबोउयपुप्फ

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