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नेमिनाथ चरित्र
"आज जो यह वृक्ष तुम्हारे आंगन में लगाया जा रहा है, वह यथासमय नव वार अन्यान्य स्थानों में रोपित करने पर उत्तरोत्तर उत्कृष्ट फल प्रदान करेगा ।"
यह स्वप्न देखते ही रानीकी नींद खुल गयी । उस समय सवेरा हो चला था । उसने उसी समय उस स्त्रमका हाल अपने पतिदेवसे निवेदन किया। उन्होंने स्वम पाठकोंसे उसके फलाफल का निर्णय कराना स्थिर
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किया । निदान, राज सभा में पहुँचते ही उन्होंने कई स्व- पाठकोंको बुला भेजा और उनसे उस स्वपका फल पूछा । उन्होंने कहा :- "राजन् ! रानीका यह स्वम बहुत ही अच्छा है । स्वममें आम्र वृक्ष दिखायी देने पर सुन्दर पुत्रका जन्म होता है । परन्तु स्वप्नमें किसी पुरुषने रानीसे जो यह कहा है कि यथा समय नव बार अन्यान्य स्थानों में रोपित करने पर यह वृक्ष उत्तरोत्तर उत्कृष्ट फल प्रदान करेगा, इसका तात्पर्य हमारी समझ में नहीं आता । इसका रहस्य तो सिर्फ केवली ही बतला सकते हैं।
स्वम पाठकों के यह वचन सुनकर राजा बहुत ही प्रसन्न हुए । उन्होंने वस्त्राभूषण आदिसे पुरस्कृत कर