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नेमिनाथ-चरित्र
पहला परिच्छेद पहला और दूसरा भव
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इस जम्बूद्वीपके भरतक्षेत्रमें अचलपुर नामक एक सुन्दर नगर था । वहॉ विक्रमधन नामक एक प्रतापी और युद्धप्रिय राजा राज करता था। उस राजाके धारिणी नामक एक रानी थी, जो उसे बहुत ही प्रिय थी। एक दिन उसने पिछली रातमें एक स्वप्न देखा। उस स्वप्नमें उसे बौरोंसे लदा हुआ एक आम्रवृक्ष दिखायी दिया, जिस पर भौंरे चक्कर लगा रहे थे और कोयले कूक रही थीं। उसे स्वममें ही ऐसा मालूम हुआ, मानो कोई रूपवान पुरुष उस आम्रवृक्षको हाथमें लेकर उससे कह रहा है कि