Book Title: Nay Darpan Author(s): Jinendra Varni Publisher: Premkumari Smarak Jain Granthmala View full book textPage 9
________________ आभार प्रस्तुत ग्रन्थ न्याय शास्त्रों के गहन मथन से प्राप्त नवनीत का प्रतिनिधित्व करने का व्यर्थ ही गर्व कर रहा है, क्योंकि इस के लेखक ने कभी न्याय पढा और न कभी उसकी सूक्ष्मताओ का परिचय प्राप्त किया है । फिर भी उसने इतना बडा दु साहस किसके बल पर और क्यो कर किया इसका उत्तर वह इसके अतिरिक्त कुछ नहीं दे सकता, कि अजमेर व इन्दौर की भव्य मण्डलियों की प्रेरणा के फल स्वरूप ही इसका निर्माण हो गया है, जिसमे अपने कर्तृत्व का अभिमान करना ऐसा ही है, मानो चोटी पहाड को उठाकर ला रही हो । इसके कर्तृत्व का वास्तविक श्रेय तो गुरुदेव श्री शुभचन्द्राचार्य को ही है, जिन के द्वारा प्रदत्त प्रकाश मे कि उन शब्द वर्गणाओ का सग्रह हुआ है। फिर भी प वंशीधरजी सिद्धात शास्त्री इन्दौर का लेखक हृदय से आभारी है कि उन्होने अपना अमूल्य समय देकर इस ग्रन्थ का गोधन करने में उसकी सहायता की है और इस ग्रथ को कदाचित ग्रन्थ कहलाने का अधिकारी बनाया है।Page Navigation
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