Book Title: Nandi Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Acharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan

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Page 13
________________ अनध्यायकाल स्वाध्याय के लिए आगमों में जो समय बताया गया है, उसी समय शास्त्रों का स्वाध्याय करना चाहिए, किन्तु अनध्यायकाल में स्वाध्याय वर्जित है। मनुस्मृति आदि स्मृतियों में भी अनध्यायकाल का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। वैदिक लोग भी वेद के अनध्यायों का उल्लेख करते हैं। इसी प्रकार अन्य आर्ष ग्रंथों का भी अनध्यायकाल माना जाता है। जैनागम भी सर्वज्ञोक्त, देवाधिष्ठित तथा स्वरविद्या-संयुक्त होने के कारण, इन का भी आगमों में अनध्याय काल वर्णिक किया गया है, जैसे कि दसविधे अंतलिक्खिते असज्झाइए पण्णत्ते, तंजहा-उवंकावाते, दिसिदाग्छ, गज्जिते, निग्घाते, जूयते, जक्खालिते, धूमिता, महिता, रतउग्घाते। दसविहे ओरालिते, असज्झातिते पण्णत्ते, तंजहा-अठि-मंसं, सोणिते, असुतिसामंते, सुसाण सामंते, चंदोवराते, सूरोवराते, पड़ने रायवुग्गहे, उवसयस्स अंतो ओरालिए सरीरगे। स्थानाङ्गसूत्र स्थान १०। नो कप्पति निग्गंथाण वा, निग्गंथीण वा चउहिं महापाडिवएहि सज्झायं करित्तए, तंजहा- आसाढ पाडिवए, इंद महापाडिवाते, कतिएपाडिवए, सुगिम्ह पाडिवए। नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा, चउहिं संझाहिं सज्झायं करेत्तए, तं जहा- पडिमाते, पच्छिमाते, मज्झण्हे, अडरते। कप्पइ निग्गंथाणं वा निग्गंथीण वा, चाउक्कालं सज्झायं करेत्तए, तं जहा-पुव्वण्हे, अवरण्हे, पओसे, पच्चुसे। स्थानाङ्गसूत्र स्थान ४, उद्देश २ उपरोक्त सूत्र पाठ के अनुसार, दस आकाश से सम्बन्धित, दस औदारिक शरीर से सम्बन्धित, चार || महाप्रतिपदा, चार महाप्रतिपदाओं की पूर्णिमा और चार सन्ध्या, इस प्रकार बत्तीस अनध्याय माने गए हैं, जिनका संक्षेप में निम्न प्रकार से वर्णन है, जैसे आकाश सम्बन्धी दस अनध्याय १. उल्कापात (तारापतन) यदि महत् तारा पतन हुआ हो तो एक प्रहर पर्यन्त शास्त्र स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। २. दिग्दाह- जब तक दिशा रक्त वर्ण की हो अर्थात् ऐसा मालूम पड़े कि दिशा में आग-सी लगी 'हो, तब भी स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। ३. गर्जित-बादलों के गर्जन पर दो प्रहर पर्यन्त स्वाध्याय करें। ४. विद्युत-बिजली चमकने पर एक प्रहर पर्यन्त स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। किन्तु गर्जन और विद्युत का अस्वाध्याय चातुर्मास में नहीं मानना चाहिए। क्योंकि वह गर्जन और विद्युत् प्रायः ऋतु-स्वभाव से ही होता है। अतः आर्द्रा में स्वाति नक्षत्र पर्यन्त अनध्याय नहीं माना जाता। 10

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