Book Title: Nandi Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Acharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan
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गुव्वावली. जिणे महावीर सुनामधेज्जे, तित्थंकरे होत्थ जया हु सिद्धे। गएसु वासेसु सहस्सदोसु, बुद्धिं गएसुं चउहिं सएहिं।।१।। देसे इहं भारह नामधेज्जे, पंजाब पंते नयरं समिद्वं । वासो सयुज्जोगवर्हण चारू, सोहाधरं णं लुधियाण नाम।।२।। तस्सि मंहतो समणो जसंसी, लगुब्भवो णं बहलोल गामे। जइणाण होत्थाऽऽयरिओ सुथेरो, नाणी पयावी सिरिमोतिरामो।।३।। सिरिंगणवइराओ तस्स सीसो पसिद्वो, सयलगुणि-गणावच्छेयगत्तं धरंतो। जव-तबसुणिमग्गो संघवाहिलासी, सुकढिणजमवित्ती संजमी बंभयारी।।४।। सीसो तदीओ समणो सुदन्तो संतो गुरुस्सेव गुणेहिंजुत्तो। नामेण सामी जयरामदासो, होत्था पहु संघगणावछेई ।।५।। अन्तेसओ तस्स महामहेसी, जोइविऊ सालिगरामनामो। सद्वावसो सग्गुरुणो सुसेवं, सुसीसमेगं पडिलद्ववन्तो।।६।। अप्पाराम तीह सुन्नामघेओ, धीलीलाहिं सग्गुणेोणिएहिं। विम्हावेन्तो मोहयन्तो य लोअं, णेया-साहू जइणधम्मस्स जाओ।७।। विसालबुद्वि समणो सुसीलो, धीरो सुसोमो विणई विरत्तो। सुलक्खणेहिं सयलेहिं जुत्तो, आसी सया सज्झयणे स लीणो।।८।। तातो पिओ से मणसासरामो, माया सती सा परमेसरी थे। रोहों ति नामा नयरी पवित्ता, जम्मंसि धन्ना अभविंसु सव्वे।।६।। थोवेण कालेण कुसंग्गबुद्धी, सव्वाणि सत्थाणि सुहीवरो सो। साहिच्चजाएण समं पढित्ता, सुपंडिओ असि पसिद्धकित्ती।।१०।। धम्मप्पयारे कय निच्छओतो, उग्गं विहार कयवं स देसे। वेउस्सपुण्णेहिं सुभासणेहिं जणे बहू बोहियवं अबोहे ।।११।। अउल्लवेउस्स पहावसाली, जिइंदिओ कामजई महेसी। पयासयन्तो जिणधम्ममेवं, जसो मंह लद्ववमासुपन्नो ।।१२।। सोउं सुकित्तिं धवलं तदीयं, सूरी मंह सोहणलालनामो। पसन्नचित्तो सुसमादरन्तो दाऊणुवज्झायपयं सुतुठठो।।१३।। सद्देसणाओ महुराय भासा, जणा विसालं च समिक्ख तेअं। तमाहु सद्वावसगा थुणंतो, तं जइणधम्मस्स दिवागरत्ति ।।१४।।
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