Book Title: Nandi Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Acharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan

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Page 11
________________ युवाप्रज्ञ विद्वान सन्त डा० श्री सुव्रतमुनि जी महाराज शास्त्री एम० ए०, पी० एच० डी०, ने इस ओर ध्यान दिया और श्री नन्दीसूत्र का पुनः प्रकाशन का विचार बनाया। इस कार्य में आचार्य देव पूज्य श्री आत्माराम जी के भक्तों और परम श्रद्धेय उत्तर भारतीय प्रवर्तक राष्ट्र सन्त भण्डारी श्री पदम चन्द जी महाराज तथा प्रवचन प्रभावक उपप्रवर्तक श्री अमर मुनि जी महाराज एवं पूज्य श्री सुव्रतमुनि जी महाराज के श्रद्धालुओं ने अपनी आन्तरिक उदारता से आर्थिक सहयोग दिया है। इससे इस वीतराग वाणी का प्रकाशन सुलभ हो गया। हम उन सभी श्रद्धालु भक्तों एवं श्री लखमी चन्द जैन गाँधीनगर वालों के प्रति आभारी हैं और आशा करते हैं कि भविष्य में भी उनका सहयोग हमें पूर्ववत मिलता रहेगा। हम वीतराग की वाणी के को पढ़ें और दूसरों को पढ़ने के सुधी पाठकों से भी अपेक्षा करते हैं कि वे स्वयं वीतराग वाणी श्री नन्दीसूत्र लिए प्रेरित करें ताकि इस शास्त्र का आधिक से अधिक उपयोग हो सके। अन्त में हम पूज्यवर गुरूदेव युवाप्रज्ञ डा० श्री सुव्रतमुनि जी महाराज के कृतज्ञ हैं जिन्होनें श्री नन्दीसूत्र प्रकाशन के भगीरथ कार्य को आचार्य श्री आत्माराम जैन बोध प्रकाशन को प्रदान कर हमें अनुगृहीत किया है। इस आगम प्रकाशन के शुभ अवसर पर हम उन सभी उदार महानुभावों के हृदय से आभारी हैं जिनका किसी भी रूप में हमें सहयोग प्राप्त हुआ है। मन्त्री आचार्य श्री आत्माराम जैन बोध प्रकाशन ए - १७४ शास्त्री नगर दिल्ली-५२ Jo

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