Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 3
________________ नाभा चरित्रं // 2 // // 2 // RAGHAAR अर्थ जेम जांगुली मंत्र सर्पना विषनो विनाश करे छे. जांगुली मंत्रथी सर्प विष उतरी जाय छे, तेम श्रवणपथमां आवेली देवद्रव्य परत्वेनी आ नामाकनरेन्द्रनी कथा विवेकी पुरुषोना लोभरूपी विषनो विनाश करे छे. // 3 // .... श्रीनाभाकनृपाख्यान-पानप्रीतमनाः पुमान् // सदा सन्तोषसंतुष्टः, सर्वसम्पचिभाग्भवेत् // 4 // 7. अर्थः-जे पुरुष श्रीनाभाकराजानी कथान पान करवामां हर्षित चित्तवाळो छे, ते निरन्तर संतोषवडे संतुष्ट थइ सर्व प्रकारनी समृद्धिने भजवावाळो थाय छे-ते पुरुषने सर्व प्रकारनी समृद्धि अनायासे प्राप्त थाय छे.॥४॥ पुरातनमनिप्रोक्तं, पुण्यं पुण्यार्थिनां प्रियम् / नाभाकचरितं चित्री-यते केषां न चेतसि // 5 // अर्थः-भाचीन महर्षिओए कहेलं, अने पुण्यना अर्थी भव्य प्राणीओने अतीव प्रियकर एवं श्रीनाभाकराजानं पवित्र चरित्र कोना चित्तमां आश्चर्य नथी करतुं ? अर्थात् पवित्र महापुरुष श्रीनाभाकराजानुं चरित्र असाधारण अने निर्दोष होवाथी दरेक पुरुषोना चित्तने विषे आश्चर्य उत्पन्न करनारुं छे. // 5 // ____ जब्बूद्वीपाभिधे द्वोपे, क्षेत्रे भरतनामके / श्रीपार्श्वनाथश्रीनेमि-नाथयोरन्तरेऽभवत् // 6 // __ अनेकश्रीपतिब्रह्म-जिष्णुश्रीदविभूषितम् / क्षितिप्रतिष्ठितं नाम, पुरं स्वपुरजित्वरम् // 7 // अर्थ-जंबद्वीप नामना द्वीपने विषे भरतक्षेत्रमा श्रीपार्श्वनाथ अने श्रीनेमिनाथ जिनेश्वरने आंतरे क्षितिप्रतिष्ठित नामनं नगर हतं, ॐॐॐॐकनर MACGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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