Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat Author(s): Merutungasuri Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 2
________________ पान. 156 // 1 // रतन.3८ // श्रीआर्यरक्षितगुरुभ्यो नमः // नाभाक // श्रीविधिपक्षगच्छाचार्य-श्रीमेरुतुगसूरिविरचितम् गूर्जरभाषानुवादसमलंकृतम् // , // श्रीनाभाकराजचरित्रम् // सौभाग्यारोग्यभाग्योत्तममहिममहिख्यातिकान्तिप्रतिष्ठा-तेजःशौर्योर्जसम्पद्विनयनययशःसन्ततिप्रीतिमुख्याः B भावा यस्य प्रभावात् प्रतिपद उदयं यान्ति सर्वे स्वभावात् श्रीजीरापल्लिराजः स भवतु भगवान पार्श्वदेवो मुदेवः भावार्थ-जे प्रभुना माहात्म्यथी सौभाग्य, आरोग्य, भाग्य, उत्तम महिमा, सद्बुद्धि, प्रसिद्धि, कांति, सुकीर्ति, तेज शौर्य, बळ, * संपत्ति, विनय, सुनीति, यश पुत्र पुत्रादि परिवार, प्रीति विगेरे सर्वे पदार्थो निरन्तर स्वाभाविक उदय आवे छे, ते श्रीमान् जीरापल्लि अधिराज पार्श्वनाथ भगवान् तमारा हर्षने माटे थाओ // 1 // श्रीवीरजिनमानम्य, सम्यग नाभाकभूपतेः / देवद्रव्याधिकारेऽद-श्चरितं कीर्तियिष्यते // 2 // अर्थः-प्रभु श्रीमहावीरने सम्यक्प्रकारे नमस्कार करीने, देवद्रव्यना अधिकार उपर श्रीनामाकराजानुं चरित्र कहीश. // 2 // श्रीनामाकनरेन्द्रस्य, कथा श्रुतिपथागता / विद्येव जांगुली लोभ-विषं हन्ति विवेकिनाम् // 3 // FELESECRUS365 ॐHRSHISHES SS यो केचममागर सरि ज्ञान मंदिर भी महापार जेन आराधनाद्र,कोबा Gunratnasuri MS Jun Gun AaradhakPage Navigation
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