Book Title: Marankandika
Author(s): Amitgati Acharya, Jinmati Mata
Publisher: Nandlal Mangilal Jain Nagaland

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Page 5
________________ [ ६ ] I S त्रग्विणी - १२ अक्षर S I S $ 1 S S । S S कीर्तिषाच तू रे फिका सग्विणी द्रुतविलंबित - १२ अक्षर मंदाकिनी I --१२ अक्षर मोटक - १२ अक्षर 5 I " I 5 1 1 S I S ! $ द्रत विलंबित म ह न भ भ रो 1 ' S S I S मंदाकिनी I नन र र घटिता 1 1 S I I S । 5 I I मोट कना म स मस्त म भी र य S い I 3 $ । सारंग - १२ अक्षर 5 S I S 5 । सा रंग संज्ञ समस्तै स्त का रे स्तु रुचिरा - १३ ग्रक्षर I $ I 5 1 I । I S 1 5 I S ज भी स जोगि ति रुचि रा च तु ग्रं है: मालिनी- १५ ग्रक्षर । शशिकला - १५ अक्षर प्रशिकला I T S 1 I S I S S बसंततिलका - १४ प्रक्षर s 5 I S I शे यं व सं तु ति ल क त भ ग ज गौ गः 1 1 5 上 | 1 I I । 5 प्रहरणकलिता - १४ अक्षर | I I । न न भ न लगि ति प्र ह र र कलिता पृथ्वी - १७ प्रक्षर I S I t न न ।। 1 I S S S । S S । ऽ ऽ मयययु ते यं मालिनी भोगिलो के: 1 I I । 1 I 1 1 1 । 1 । 1 S गु रु नि ध न म नु ल घुरिह शशिकला 1 $ I । ' S S । 1 । ऽ ' S 5 । ऽ । 1 S SI I | S S S ISSIS जसो ज स य ला व सुग्रह यति श्च पृ ध्वो गुरुः शार्दूलविक्रीडित १९ अक्षर ऽ ऽ ऽ र्या स्वर्य दिमः स जो सत व गाः शार्दूलविक्रीडितं । I I | 455 ।ऽ।ऽ ऽ SS ? 5 5 1 नात्रयेण त्रि मुनि यति यु तात्रग्धरा की लि यं इस प्रकार इस ग्रंथ में कुल २७ प्रकार के छन्द हैं। इस ग्रंथ में कुल श्लोक संख्या २२७९ हैं उनमें ५८ श्लोक ११ मात्रा वाले हैं. ४५ श्लोक १२ मात्रा वाले हैं, २ श्लोक १३ मात्रा के हैं । ४ श्लोक १४ मात्रा के हैं, १ श्लोक १५ मात्रा का है । १ श्लोक १७ मात्रा का है । स्तव तथा प्रशस्ति में १७ श्लोक १९ मात्रा वाले हैं, ८ इलोक २१ मात्रा वाले हैं। शेष सब श्लोक अनुष्टुप् छन्द में हैं। इस ग्रंथ का सभी भव्य मुमुक्षु स्वाध्याय करें, विशेषतः साधुगण इसका अध्ययन अवश्य करें, क्योंकि इसमें सल्लेखना विधि है और साधु जीवन रूप प्रासाद में मल्लेखना तो मणिमय कलशारोहण है । इति भद्रमुपान् - आर्यिका शुभमति स्रग्धरा - २१ अक्षर 53 ।

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