Book Title: Manuscripts from Indian Collection
Author(s): National Museum New Delhi
Publisher: National Museum New Delhi

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Page 21
________________ KĀDAMBARI (A prose romance narrating the fortunes of the princess called Kādambari) Foll. 289; size 32 x 11 cm; paper; Devanāgari script; 9 lines to a page; Sanskrit; dated Samvat 1435 (A.D. 1378). Author: Banabhatta and Pulinda (Pulina) (7th century A.D.); scribe: Mandana. Begins : श्री गणेशाय नम:। रजोजुषे जन्मनि सत्त्ववृत्तये स्थितौ प्रजानां प्रलये तमःस्पृशे । अजाय सर्गस्थितिनाशहेतवे त्रयीमयाय त्रिगुणात्मने नमः ॥ Ends: न केवलं चन्द्रमा: कादम्बर्या सह, कादम्बरी महाश्वेतया (सह, महाश्वेता) पुण्डरीकेरण सह, पुण्डरीकोऽपि चन्द्रमसा सह परस्परावियोगेन सर्व एव सर्वकालं सुखमनुभवन्त: परां कोटिमानन्दस्याध्यगच्छन् । Colophon : इति पुलिन्द(न)रचित कादम्बरीखण्डं द्वितीयं समाप्तम् । यादृशं पुस्तके दृष्टं तादृशं लिखितं मया । यदि शुद्धमशुद्ध वा मम दोषो न दीयते ॥ इति चन्द्र (श्री:) संवत् नेत्रनवांघ्रिचन्द्रसमये मासे शुचौ पाण्डुरे पक्षे पंचमके तिथौ भृगुदिने श्रीमण्डपे माभूति । आ सङ्ग ऽवनिमासमुद्रमखिला शासत्यमात्येश्वरे श्री'"घटयत्यनौद्धतमिह व्यापारमादेशत: ।। १ ।। श्री मण्डनेन स्वाध्ययनार्थमलेखि। One of the earliest manuscripts of Bāņa's Kadambari along with a supplement by his son, Pulinda (Pulina). Lent by the Vishveshvarananda Vedic Research Institute, Hoshiarpur (Punjab). NIRUKTA WITH BHĀSHYA (Etymological interpretation of Vedic words) Foll. 360; size 31 x 12 cm; paper; Devanāgari script; 10 lines to a page; 12 www.jainelibrary.org Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only

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