Book Title: Manuscripts from Indian Collection Author(s): National Museum New Delhi Publisher: National Museum New DelhiPage 74
________________ Begins : अथा सीतजुर कोम जाणिजे तेनी कसी पारीख्या ? उघे अर कांपे तेहनी विचार ।। दूहा कांपे उघे सीसज्वर अर रोमज उभा होय, दंतज धवला कुंभस्थ मोटा ऐहवइ वार करो मति कोय ॥ Colophon : संवत् १७४७ महासुद १ मंगलवार पोथी लीखतं गुसाई दयालगीर पठनारथे आतमा। शुभं भवतु ।। 11 illustrations. Lent by the Lalbhai Dalpatbhai Bharatiya Sanskriti Vidya Mandir, Ahmedabad. VAIDYAVINODA (A work on medicine) Foll. 80; size 25.5 x 10.5 cm; paper; Devanāgari script; 17 lines to a page; Māru-Gurjara; dated Samvat 1753 (A.D. 1696). Author : Rāmachandra Kharatara, Samvat 1712 (A.D. 1655); scribe: Vidyāvimalamuni. Begins : दोहा ।। श्री सुखदायक सलहीय जोतिरूप जगदीस। सकति करी सोभइ सदा श्री शंकर निसिदीस ।। Ends : दोहा—साहानसाहि पतिराजतो औरंगसाहि नरिद्द । तासु राजमै ए रच्यो भलोग्रंथ सुषकंद ।। ७२ ।। गच्छ नायक है दीपता श्री जिनचंद राजान । सोभागी सिरसेहरो बर्ड सकल जहान ।। ७३ ।। मरोटकोट शुभठौडहै वसे लोक सुषकार । परचना तिहांकिन रची सबही कुं हितकार ।। ७४ ।। पर उपगारी ग्रंथ है सकल जीव सुषकार । थिर रहा ज्यों लगि सदा तां लगि धू इक तार ।। ७५ ।। इति श्री वाणारसपदमरंगगणिशिष्यरामचंद विरचिते श्री वैद्यविनोदे नेत्रप्रसानं कल्पना अध्याय उत्तरषंड तृतीय संपूर्ण ॥ Colophon : संवत् १७५३ वर्षे फाल्गुण मासे कृष्णपक्षे दसमीतिथौ १० शनिवासरे श्री नवरांगषनरा कोट्टमध्ये लिपोकृत्वा वा० श्री पू श्री ज्ञाननिधानगणिभिः शिष्यविद्याविमलमुनि लिखितं ।। The manuscript was written during the reign of Aurangzeb. Lent by the Lalbhai Dalpatbhai Bharatiya Sanskriti Vidya Mandir, Ahmedabad. 65 Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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