Book Title: Manuscripts from Indian Collection
Author(s): National Museum New Delhi
Publisher: National Museum New Delhi

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Page 75
________________ Jain Education International Foll. 628 illustrated pages; 42.5 x 26.5 cm; paper; Devanagari script; 2 to 4 lines to a page; Rajasthani. Author: Chand Bardai, Samvat 1183 (A.D. 1126). Begins: Ends : PRITHVIRAJA RĀSAU (Historical romance ) रासे को पत्र ।। १ ।। षटरितु । राजा प्रीथीराज प्रागे सवा ने संजोगता रो वरनन कीनो । सवचन राजा रे बाग सरीखो लागो । पिन पिन साले सुवेद पुसतग देखे पन रोगु पावे नहीं । चंद सु राजा कहे है मोहे कनवज दीषावो । रूपक | रासे को पत्र । ६३७ । रात घडी छर ही तिणी वेलां पंग रजपता हें देस हाथी घोड़ा देने सुचता कीघा | पछ च्यार फौज करे ने च्यारी प्राडी थी- प्रथी -रे श्रायो तदी प्रथीराज हे सुतो मेले ने सूरज उगे नहीं तठा पेला सामंते लोह काढे ने पग री फौज सो मिल्या । प्रथीराज निसंक सूतो हे ने गजर वाजी । 628 illustrations of the Mewar school of the 17th century. Lent by the Saraswati Bhawan, Udaipur (Rajasthan). Ends : MADHUMALATI-CHAUPAI (Romantic poem of an Indian love story) Foll. 86; size 26x23 cm; paper; Devanagari script; 20 lines to a page; Rajasthani. Begins: सरस्वती नाम लेइ करी करे गुणपत जुहार । कीवजनांचा परी कहे मधुमालती को प्यार ॥ सकल बुध दौ सुरसती बंदु गुर के पांच । मधुमालती बोलासको कहे चुत्रभुज रां ॥ २ ॥ दीनदस मधुनाम ले नये ब्याह के बंध । असते तन अनंग चढ्यो द्रिग न परे जगदंग ।। १३६६ ।। काम सरप पाइ सवे लेहरजे मुरकी देत घरी च्यार "अपूर्ण.. 87 illustrations in Mughal style. 66 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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