Book Title: Mahabali Hanuman
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 12
________________ पिता द्वारा अपमानित होकर अंजना और सखि वसंतमाला घनघोर जंगल में भूखी प्यासी भटकने लगी। अंजना को मूर्छा आने लगी तभी संयोग से एक गुफा मिली। वे दोनो अंदर गयी तो देखा कि एक शिला पर कोई चारण मुनि विराजमान हैं। हे नाथ! किस कारण पवनकुमार इस अंजना से उदास हुए। फिर क्यों अनुरागी हुए और कौन मंदभागी इसके गर्भ में आया है, जिस कारण इसका जीवन संकट में है ? 10 वे दोनों मुनि के दर्शन कर, सब दुखों को भूल गयी। वे मुनि के पास आई। उनकी तीन प्रदक्षिणा की और मुनि के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गयी। हे मुनिवर ! हे कल्याणरूप ! आपके शरीर में कुशल तो है ? आपको स्थिर देखकर शंका हो रही है। 444 हे पुत्री। इसके गर्भ में कोई हे पुत्री इसके गर्भ में कोई उत्तम पुरुष आया है और जो यह दुख भोग रही है। वह पूर्व जन्म के कर्मों का फल है। बैठो और सुनो! हे कल्याण रूपीणियां सब कुशल है। सब जीव अपने-अपने कर्मानुसार फल भोगते हैं। देखो कर्म की विचित्रता। राजा महेन्द्र ने अपनी पुत्री को निकाल दिया। विजियार्धगिरि पर अहनपुर नामक नगरी में राजा सुकंठराज्य करता था उसकी रानी कनकोदरी के गर्भ में देवलोक से एक जीव आया। जब वह जन्मा तो उसका नाम सिंहवाहन रखा। वह एक दिन विमलनाथ स्वामी के समोशरण में गया जहां उसे आत्मज्ञान और वैराग्य उत्पन्न हुआ। उसने राज्य त्यागकर लक्ष्मीतिलक मुनि से दीक्षा ली। फिर तप करके सातवें लांतव स्वर्ग में देव हुआ। पर स्वर्ग के सुख | को छोड़ वह अंजना की कुक्षि में आया है। यह पवित्र आत्मा है। महाबली हनुमान

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