Book Title: Mahabali Hanuman
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 27
________________ रावण के दरबार में हनुमान जी पहुंचे। हे हनूमान ! तुमने हमारे साथ स्वामीद्रोह का कार्य किया। यह कितनी मूर्खता वाली बात है। का A सायमा हे लंकापति तुमने सोते हुए सिंह श्रीराम को जगाया है। अपना जीवन चाहते हो तो सीता को लौटा दो। RAIमाणपORDL हे रावण ! परस्त्री को रखना महापाप है। तूं सीता को लौटा दे अन्यथा तूं पूरे राक्षसवंश के विनाश का कारण बनेगा। हे हनूमान, राम-लक्ष्मण मेरे सामने क्या हैं? तु ने अभी मेरा पौरूष नहीं देखा। जा, यह सीख किसी और को देना। जैन चित्रकथा

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